रविवार, 24 जून 2012

= स्मरण का अँग २ =(२३-४)


॥ दादूराम-सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज 
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*= स्मरण का अंग - २ =*
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*नाम चित्त आवै सो लेय*
*दादू सिरजनहार के, केते नाम अनन्त ।* 
*चित आवै सो लीजिये, यों साधु सुमरैं संत ॥ २३ ॥* 
टीका - जिज्ञासु प्रश्न करता है कि हे सतगुरु ! सिरजनहार परमात्मा के कितने नाम हैं ? गुरूदेव उत्तर देते हैं कि अनन्त । तो हे महाप्रभु ! हम कौन से नाम का स्मरण करे ? गुरुदेव बोले :- जो नाम आपको अच्छा लगे । बहिर्मुख चित्त की वृत्ति अन्तर्मुख होवे या गुरुदेव बतावें, वही नाम लीजिए । हे जिज्ञासु ! इस प्रकार मुक्त पुरुष जीवन-मुक्ति के विशेष सुख के लिए, और साधन कोटि में चलने वाले साधक पुरुष ऐसे ही स्मरण करते आए हैं ।
बहुनि सन्ति नामानि रूपाणि च कृष्णस्य ते । 
गुणकर्मानुरूपाणि तान्यहं वेद, नो जना: ॥(भागवत)
जिह्वे ! सदैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि । 
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 
ब्रह्मैव सर्वनामानि रूपाणि विविधानि च । 
सर्वाण्यपि समप्राणि विभातीति श्रुतिर्जगौ ॥ 
"अगुन सगुन दुई ब्रह्म सरूपा । 
अकथ अगाध अनादि अनूपा ।
नाम सकल सतरूप हैं, लधु दीरघ नहिं कोइ । 
जगन्नाथ जिहि नाम हित, तिहि हरि प्रकट होइ ॥ 
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*आप कौनसा नाम लेते हो*
*दादू जिन प्राण पिण्ड हमकौ दिया, अंतर सेवैं ताहि ।* 
*जे आवै ओसाण सिर, सोई नांव संवाहि ॥ २४ ॥* 
टीका - जिन कृपाल परमेश्वर ने हमको प्राण और स्थूल शरीर आदिक दिया है, उसकी एकाग्र वृत्ति से उपरोक्त नामों द्वारा अन्त:करण में हम अराधना करते हैं । 
अकबर बूझी बीरबल, सिरह कौण हथियार । 
हाथी आवत देख कर, श्वान दिया सिर मार ॥ 
दृष्टांत :- अकबर बादशाह बीरबल से पूछने लगा कि बीरबल ! हथियारों में सबसे अच्छा हथियार कौनसा है ? बीरबल बोला :- हुजूर ! जिससे मौके पर जान बच जाये, वही हथियार अच्छा है । एक रोज बादशाह हाथी पर सवार होकर परीक्षा के लिए जमुना के किनारे, जहाँ बीरबल संध्या करता था, वहाँ पहुँचा और महावत को बोला :- बीरबल के ऊपर हाथी चढ़ा दो । बीरबल ने देखा, बादशाह हथियार देखना चाहता है । बीरबल उठा और एक सोये हुए कुत्ते के पाँव पकड़कर, घुमाकर, हाथी के सिर में दे मारा । टकराते ही कुत्ता हाथी के कान के पास चिल्लाया और हाथी चमक कर वापिस लौट गया । बादशाह सिंहासन पर बैठा हुआ हँस पड़ा और बोला :- बीरबल हथियार ठीक है, जिससे जान बच जाये, वही हथियार अच्छा है । सतगुरु महाराज कहते हैं कि हे जिज्ञासुओ ! जिस परमात्मा के नाम से काल से मुक्त हो जावे, वही नाम ठीक है ।
(क्रमशः)

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