॥ दादूराम-सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*= स्मरण का अंग - २ =*
*= स्मरण का अंग - २ =*
*चितावणी*
*दादू अैसा कौण अभागिया, कछु दिढावै और ।*
*नाम बिना पग धरन को, कहो कहाँ है ठौर ॥ २५ ॥*
टीका :- हे संशय बुद्धि ! ऐसा कौन मन्दभागी है, जो ईश्वर के नाम के अतिरिक्त, अन्य नामों का उपदेश करे । अर्थात् सांसारिक देव, भूत आदिक की उपासना करने वाले भाग्यहीन हैं, क्योंकि प्रभु के नाम के बिना भक्तजनों का क्षण भर भी जीवन सम्भव नहीं है ।
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*सुमिरण नाम महिमा*
*दादू निमिष न न्यारा कीजिये, अंतर थैं उर नाम ।*
*कोटि पतित पावन भये, केवल कहतां राम ॥ २६ ॥*
टीका - हे जिज्ञासुजनों ! प्रभु के नाम को क्षण भर भी नहीं भूलिये, क्योंकि केवल राम - नाम का उच्चारण मात्र से ही अजामिल जैसे असंख्य अधम प्राणी, पावन पवित्र होकर संसार - कष्ट से मुक्त हो गए हैं । यह राम - नाम का ही माहात्म्य है ।
ब्रह्म हत्या सहस्त्राणि, अगम्या गमनानि च ।
केन ध्यानयोगेन, नस्यन्त्यापित क्षणत् ॥
"जासु नाम मरत मुख आवा ।
अधम मुक्ति हो, सब श्रुति गावा ॥"
(क्रमशः)
(क्रमशः)
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