*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*= स्मरण का अंग - २ =*
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*स्मरण नाम चितावणी*
*दादू पीव का नाम ले, तो मिटै सिर साल ।*
*दादू पीव का नाम ले, तो मिटै सिर साल ।*
*घड़ी मुहूर्त चालनां, कैसी आवै काल ॥ ३५ ॥*
दादूजी कहते हैं - सबका पालन करने वाले "पीव"(परमेश्वर) का नाम - स्मरण करने से जन्म - मरण का जो अन्त:करण में दु:ख है, वह दूर हो जाता है । इसलिए दृढ़तापूर्वक प्रभु का नाम - स्मरण करो । न मालूम एक क्षण के बाद कैसा समय आवे ? यह शरीर रहे या न रहे, अथवा रोगों से पीड़ित होने पर हरि का स्मरण हो सके या नहीं, कौन जाने ॥ ३५ ॥
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*स्मरण बिना सांस न ले*
*दादू औसर जीव तैं, कह्या न केवल राम ।*
*अंत काल हम कहेंगे, जम बैरी सौं काम ॥ ३६ ॥*
हे जिज्ञासु ! तूने मनुष्य देह प्राप्त करके और बाल्य व युवा अवस्था में सत्संग का अमूल्य अवसर मिलने पर भी निष्काम भाव से परमेश्वर का नाम स्मरण नहीं किया और मायिक पदार्थों में आसक्त होकर यह सोचता है कि वृद्धावस्था आने पर हम प्रभु का स्मरण कर लेंगे । किन्तु हे नादान ! अन्त - काल में रोग, भय, त्रास आदि यमराज के समान जो भयंकर शत्रु हैं, जब तेरा उनसे वास्ता पड़ेगा, तब प्रभु का स्मरण कैसे करेगा ॥ ३६ ॥
(क्रमशः)
(क्रमशः)
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