शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

= निष्कर्म पतिव्रता का अंग =(८/१०-१२)

॥दादूराम सत्यराम॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"* 
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी 
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज 
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*= निष्कर्म पतिव्रता का अंग ८ =*
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*तुम्हीं आमची जीवनी, तुम्हीं आमचा जप ।*
*तुम्हीं आमचा साधन, तुम्हीं आमचा तप ॥१०॥*
टीका - हे गोविन्द ! आप ही हमारे जीवनरूप हो । आप ही हमारे जप रूप हो । आप ही हमारे सम्पूर्ण साधन रूप हो । आप ही हमारे तप रूप हो ॥१०॥ 
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*तुम्हीं आमचा शील, तुम्हीं आमचा संतोष ।*
*तुम्हीं आमची मुक्ति, तुम्हीं आमचा मोक्ष ॥११॥* 
टीका - हे गोविन्द ! आप ही हमारे ब्रह्मचर्यरूप हो और आप ही हमारे संतोंष रूप हो । आप ही हमारे मुक्ति(चारों मुक्ति) रूप हो और आप ही हमारे मोक्षरूप हो ॥११॥ 
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*तुम्हीं आमचा शिव, तुम्हीं आमची शक्ति ।*
*तुम्हीं आमचा आगम, तुम्हीं आमची उक्ति ॥१२॥* 
टीका - हे गोविन्द ! आप ही हमारे शिव कल्याणस्वरूप हो । आप ही हमारे शक्ति महामायारूप हो । आप ही हमारे आगे की जानने वाले हो । आप ही हमारे वेद वाक्य रूप हो ॥१२॥ 
(क्रमशः)

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