रविवार, 10 नवंबर 2013

= शूरातन का अंग २४ =(२५/२६)

॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*शूरातन का अंग २४*
*शूरवीर कायर*
*जीवों का संशय पड़या, को काको तारै ।*
*दादू सोई शूरमा, जे आप उबारै ॥२५॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! सांसारिक मनुष्य विषय - वासनाओं में फँसे हुए हैं । वे अपने आपको नहीं तार सक ते, तो दूसरों को क्या तारेंगे ? वही सच्चे शूरवीर हैं जो मनुष्य जन्म पाकर, परमेश्‍वर की अनन्य भक्ति और सत्संग द्वारा आपने आपको संसार से तार लेते हैं ॥२५॥
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*जे निकसे संसार तैं, सांई की दिशि धाइ ।*
*जे कबहुँ दादू बाहुड़े, तो पीछे मार्‍या जाइ ॥२६॥*
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! पूर्व संसार या सतगुरु कृपा से संसार में आसक्ति का त्याग करके, परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग भक्ति - वैराग्य में लगें, अर्थात् आत्मचिन्तन में लग कर यदि फिर वृत्ति को बहिर्मुख करें, तो वे पुरुष आवागमन में ही भ्रमते रहते हैं ॥२६॥
(क्रमशः)

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