शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

अरवाह सिजदा कुनंद ३/७०

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷 *#श्रीदादूवाणी०प्रवचनपद्धति* 🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*विरह का अंग ३/७०*
.
*अरवाहे सिजदा कुनंद, वजूद रा चे कार ।*
*दादू नूर दादनी, आशिकां दीदार ॥७०॥*
प्रसंग कथा - सीकरी में अकबर बादशाह ने दादूजी से प्रश्‍न किया था - भगवद् दर्शन कैसे हो ? उसी का उत्तर इस अंग की ६४ की साखी से ७० की साखी तक से दिया था ।
७० की साखी पर दृष्टांत - 
इब्राहीम फकीर से, कहा शरअ के लोग ।
कर निवाज करण लगे, उठे न बहुरों चोग ॥५॥
एक समय उच्च कोटि के फकीर इब्राहिम से शरअ(मुसलमान धर्म के नेता काजीमुल्ला आदि) के लोगों ने कहा - आप मस्जिद में चलकर निवाज पढ़िये । इब्राहिम ने कहा - मैं तो हर समय ही हृदय में निवाज पढ़ता हूँ । मस्जिद में जाकर निवाज पढ़ने की मुझे आवश्यकता नहीं है । किन्तु उनकी बात नहीं मानी और बल से ले ही गये । फिर सबने कहा - आप ही बांग दिजिये । वे नट भी गये, किन्तु सबने आग्रह किया । तब उन्होंने बांग दी और भूमि पर लेटे तो फिर लेटे ही रह गये अर्थात् प्राण त्याग ही कर दिया । फिर सब पश्चाताप ही करने लगे । उक्त प्रकार उच्च कोटि के संत परब्रह्म को हृदय में प्रणाम करते हैं ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें