बुधवार, 13 नवंबर 2013

दादू इश्क अलह/आज्ञा अपरंपार ~ ३/१५२.१५७


🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷 *#श्रीदादूवाणी०प्रवचनपद्धति* 🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
.
*विरह का अंग ३/१५२.५७*
.
*दादू इश्क अलह की जाति है, इश्क अलह का अंग ।* 
*इश्क अल्लाह वजूद है, इश्क अलह का रंग ॥१५२॥* 
प्रसंग कथा - 
गुरु दादू से बादशाह, पू़छी चार सु बात । 
जाति अंग वजूद रंग, साहिब के विख्यात ॥१६॥ 
अकबर बादशाह ने सीकरी नगर में दादूजी से चार प्रश्‍न किये थे १ - ईश्वर की जाति क्या है ? २ - उसे प्रिय क्या है ? ३ - उसका शरीर क्या है ? ४ - उसका रंग क्या है ? उनका उत्तर दादूजी ने उक्त १५२ की साखी से प्रेम दिया है अर्थात् प्रेम ही ईश्वर की जाति है । प्रेम ही उसे प्रिय है । प्रेम ही उसका शरीर है । प्रेम ही उसका रंग है । अकबर सुनकर संतुष्ट हुआ था ।=============
*आज्ञा अपरंपार की, बस अम्बर भरतार ।* 
*हटे पटम्बर पहर कर, धरती करे सिंगार ॥१५७॥* 
प्रसंग कथा - उक्त १५७ साखी से १५८ और १५९ इस साखियों की प्रसंग कथा इस प्रकार हैं - 
सोरठा - 
*आंधी गांवहि मांहि, रहे जु दादू दासजी ।* 
*वर्षा वरसी नांहिं, कर विनती बर साइया ॥१८॥* 
आंधी ग्राम के पूर्णदास, ताराचन्द खडेवाल महरवाल गोत्र के वैश्यों ने अपने यहां आंधी ग्राम में दादूजी का चातुर्मास करवाया था । भादवा में वर्षा नहीं होने से खेतियां सूखने लगी । तब किसानों में बड़ी हलचल मची । कु़छ किसानों ने पूर्णदास को कहा - आपके संत दादूजी सिद्ध पुरुष है, उनको कहकर वर्षा करवाने की कृपा करें । वर्षा नहीं होगी तो हम लोग विपत्ति में पड़ जायेंगे । 
पूर्णदास - मैं तो यह बात महाराज को कहने में असमर्थ हूँ, किन्तु तुम लोगों को युक्ति बताता हूँ । तुम लोग कल प्रातःकाल अपनी गाड़ियों में सामान लादकर स्त्री बाल बच्चों व पशुओं के सहित हो हल्ला करते हुये जहां दादूजी दांतुन करते हैं उस स्थान के पास के मार्ग से निकलो, मैं उस समय उनके पास ही रहता हूं । वे तुमको देखकर मुझे अवश्य पूछेंगे कि ये लोग कहां जाते हैं ? तब मैं उनको कह दूंगा - वर्षा नहीं होने से मालवा को जाते हैं । 
इतना सुनते ही उन्हें दया अवश्य आ जायगी और वे वर्षा अवश्य बरसा देंगे । किसानों ने वैसा ही किया और दादूजी ने उनको देख कर पूर्णदास से पू़छा । तब पूर्णदास ने कह दिया - वर्षा न होने से मालवा को जा रहे है । इतना सुनते ही दादूजी ने कहा । तुम जाकर इनको कह दो भगवान् वर्षा कर देंगे तुम अपने घरों पर जाकर भगवान् का भजन करो । 
पूर्णदास ने जाकर कह दिया और वे अपने घरों को लौट गये । फिर दादूजी ने उक्त साखियों द्वारा परमात्मा से प्रार्थना करके तथा इन्द्र को प्रेरणा करके वर्षा बरसा दी थी ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें