रविवार, 24 नवंबर 2013

परिचय सेवा आरती ४/२६१

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷 
🌷 *#श्रीदादूवाणी०प्रवचनपद्धति* 🌷 
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷 
https://www.facebook.com/DADUVANI 
साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥ 
*परिचय का अंग ४/२६१*
*परिचय सेवा आरती, परिचय भोग लगाइ ।*
*दादू उस परसाद की, महिमा कही न जाइ ॥२६१॥* 
दृष्टांत - कुवंरी से कुवंरा भया, लेत प्रसादी सी(थ) । 
राघव भिन्न न किजिये, पारस रूप अतीत ॥२२॥ 
ब्रह्म परिचय(साक्षात्कार) किये हुये एक संत एक बाजरा के खेत में पहुँच गये । खेत की रक्षा एक लड़की कर रही थी । संतजी को देखकर उसने श्रद्धा से प्रणाम किया फिर बाजरे के सिट्टों से बाजरा निकालकर संतजी के आगे रखकर कहा - भगवन् ! जीमिये । लड़की की श्रद्धा भक्ति देखकर संतजी ने परिचय(साक्षात्) भगवान् के भोग लगाया । 
फिर स्वयं ने पाकर लड़की को दिया और कहा - तुम भी पाओ । लड़की ने कु़छ बाजरे के दाने खाये तह संतजी ने कहा - देखो, बच्चा भगवान् का प्रसाद कितना मधुर है इतना कहते ही लड़की लड़के के रूप में बदल गई । सोई साखी में कहा है - ब्रह्म परिचय संतों के परिचय भोग लगाते हुये प्रसाद की महिमा कहने में नहीं आती अर्थात् अत्यधिक है । देखो ब्रह्म और संत का प्रसाद पता ही लड़की से तत्काल लड़का बन गया । 
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें