गुरुवार, 2 जनवरी 2014

कर्मै कर्म काटै नहीं



卐 सत्यराम सा 卐 
कर्मै कर्म काटै नहीं, कर्मै कर्म न जाइ । 
कर्मै कर्म छूटै नहीं, कर्मै कर्म बँधाइ ॥ 
कछू न कीजे कामना, सगुण निर्गुण होहि । 
पलट जीव तैं ब्रह्म गति, सब मिलि मानैं मोहि ॥

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