॥ दादूराम सत्यराम ॥
*"श्री दादूदयाल वाणी(आत्म-दर्शन)"*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
.
*सजीवन का अंग २६*
.
*जागहु लागहु राम सौं, रैन बिहानी जाइ ।*
*सुमिर सनेही आपणा, दादू काल न खाइ ॥२५॥*
टीका ~ हे जिज्ञासु ! मोहरूप निद्रा से जागकर राम नाम - स्मरण कर, क्योंकि यह उम्र रूप रात्रि, अज्ञान अवस्था में ही बीतती जा रही है । अपना हितैषी परमेश्वर है क्योंकि वह गर्भवास से लेकर मरण पर्यन्त जीव की रक्षा करता रहता है । उसी का स्मरण कर, तो फिर कोई भी काल तेरा स्पर्श नहीं कर पावेगा ॥२५॥
.
*दादू जागहु लागहु राम सौं, छाड़हु विषय विकार ।*
*जीवहु पीवहु राम रस, आतम साधन सार ॥२६॥*
टीका ~ हे जिज्ञासु ! मोहरूप निद्रा से जागकर विषय - विकारों का त्याग करके राम - नाम में लय लगा । कब तक ? जब तक इस शऱीर और प्राणों का संयोग है, तब तक अखंड राम - रस पीजिये । यही एक साधन आत्म - कल्याण का है ॥२६॥
उठो, बेगा जागो, भजन रस लागो उनमनां ।
तजो खोटो सागो, कुमति मल दागो धो तनां ॥
तुम्हें को तारेगो, जगतजलधि तैं प्रभु बिनां ।
पुकारे जाते हैं, सकल हितकारी हरिजनां ॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें