#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
पुहुप वास घृत दूध में, अब कासौं कहिये ॥
पाहण लोह बिच वासदेव, ऐसे मिल रहिये ।
दादू दीन दयाल सौं, संग हि सुख लहिये ॥
दादू ऐसा बड़ा अगाध है, सूक्षम जैसा अंग ।
पुहुप वास तैं पतला, सो सदा हमारे संग ॥
दादू जब दिल मिली दयालु सौं, तब अंतर कुछ नांहि ।
ज्यों पाला पाणी कों मिल्या, त्यों हरिजन हरि मांहि ॥
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