रविवार, 22 जून 2014

= बिनती का अंग ३४ =(२१क)

#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
*#श्रीदादूदयालवाणी०आत्मदर्शन*
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*बिनती का अंग ३४*
*करुणा ~* 
*कहतां सुनतां दिन गये, ह्वै कछू न आवा ।* 
*दादू हरि की भक्ति बिन, प्राणी पछतावा ॥२१क॥* 
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव कहते हैं कि हे परमेश्‍वर ! हे नाथ ! सम्पूर्ण आयु आपकी भक्ति बिना निष्ङ्गल ही जा रही है । आप दया करके आपकी भक्ति का दान देना, जिससे हमारा पश्‍चात्ताप मिटे । अथवा हे जिज्ञासुओं ! परमेश्‍वर की भक्ति के अतिरिक्त व्यावहारिक कथन - श्रवण में जो दिन जाते हैं, सो सब विफल हैं, क्योंकि भक्ति बिना प्राणी को प्राणान्त समय में केवल पश्‍चात्ताप ही रहता है ॥२१क॥
(क्रमशः)

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