शुक्रवार, 27 जून 2014

आपा मेटै हरि भजै

卐 सत्यराम सा 卐 
आपा मेटै हरि भजै, तन मन तजै विकार ।
निर्वैरी सब जीव सौं, दादू यहु मत सार ॥
दादू निर्वैरी निज आत्मा, साधन का मत सार ।
दादू दूजा राम बिन, बैरी मंझ विकार ॥
निर्वैरी सब जीव सौं, संतजन सोई ।
दादू एकै आत्मा, बैरी नहिं कोई ॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें