मंगलवार, 17 जून 2014

*१४५. मना, जप राम नाम कहिये*

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साभार ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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१४५. विरह । अड्डुताल
क्यों विसरै मेरा पीव पियारा, 
जीव की जीवन प्राण हमारा ॥टेक॥
क्यों कर जीवै मीन जल बिछुरै, तुम्ह बिन प्राण सनेही ।
चिन्तामणि जब कर तैं छूटै, तब दुख पावै देही ॥१॥
माता बालक दूध न देवै, सो कैसे कर पीवै ।
निर्धन का धन अनत भुलाना, सो कैसे कर जीवै ॥२॥
बरषहु राम सदा सुख अमृत, नीझर निर्मल धारा ।
प्रेम पियाला भर भर दीजे, दादू दास तुम्हारा ॥३॥
पद १४५ पाद २ के - निर्धन का धन अनत भुलाना, सो कैसे कर जीवे ।
इस अंश पर
दृष्टांत - फकीर रुपये धर धरे, नारनौल के मांहिं ।
फोज गई कोउ ले गया, शीश टेक मर जांहि ॥२॥
नाननौल में एक फकीर के पास माँगते - माँगते कु़छ रुपये संग्रह हो गये थे । फिर उसने उनको भूमि में गाड़ दिया था । उस भूमि को वह देखता रहता था ।
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एक दिन वहां एक सेना ने अपना पड़ाव डाला और चूल्हा बनाने को भूमि खोदी । उनको वे रुपये मिल गये और वे ही उनको ले गये । दूसरे दिन उस फकीर ने भूमि खुदी हुई देखकर सँभाला तो रुपये नहीं मिले । फिर वह उसी भूमि पर शिर टेक कर मर गया । सोई उक्त १४५ पद के पाद दो में कहा है । निर्धन का धन चला जाय तो वह उक्त फकीर के समान मर जाता है ।
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उक्त पाद पर द्वितीय दृष्टांत प्राचीन -
एक कहै धोवत गई, एक सुनत बोराय ।
सो कैसे धीरज धरे, धरी हात से जाय ॥३॥
एक वैश्य का पुत्र स्नान के लिये नदी पर गया था । नदी से कटी हुई भूमि में उसे काली - काली चरी जैसी दिखाई दी । उसने उसे निकालकर मुख खोलकर देखा तो वह चरी स्वर्ण - मुद्राओं से भरी मिली । फिर उस का मुख बन्द करके उसने सोचा - इसे ले जाते हुये मार्ग में लोग पू़छेंगे कि यह ऐसी काली चरी कहां से लाया है ? वह ठीक नहीं रहेगा । अतः इसे मिट्टी से रगड़कर इसका कालापन उतार दूं ।
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फिर वह नदी तट पर उसे घिसने लगा तो दैवयोग से वह उस के हाथ से छूटकर नदी के गहरे जल में पहुंचकर बह गई । तब वह पागल की भांति - हाय ! धोवत गई यह बोलता हुआ घर पहुँचा तब उसके पिता ने पू़छा - क्या गई ? उसने उक्त घटना सुनादी । पिता सुनकर बोलने लगा - हाय ! क्यों धोवे था दोनों पिता पुत्र बारंबार उक्त वचन पागल के समान बोलने लगे । सोई उक्त ३ के दोहे में कहा है, जब उक्त दोनों की यह दशा हो गई तब जिसकी हाथ से कमाई धरी हुई चली जाय उसको धैर्य कैसे रह सकता है । सोई उक्त १४५ के पाद दो में कहा है कि वह कैसे जीवित रह सकता है ?

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