#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू बिगसि बिगसि दर्शन करै,
पुलकि पुलकि रस पान ।
मगन गलित माता रहै,
अरस परस मिलि प्राण ॥
दादू देखि देखि सुमिरण करै,
देखि देखि लै लीन ।
देखि देखि तन मन विलै,
देखि देखि चित्त दीन ॥
दादू निरखि निरखि निज नाम ले,
निरखि निरखि रस पीव ।
निरखि निरखि पिव कौं मिलै,
निरखि निरखि सुख जीव ॥
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