रविवार, 6 जुलाई 2014

= बिनती का अंग ३४ =(३२)

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टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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*बिनती का अंग ३४*
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*परिचय करूणा विनती*
*गलै विलै कर बीनती, एकमेक अरदास ।*
*अरस परस करुणा करै, तब द्रवै दादू दास ॥३२॥* 
टीका ~ हे जिज्ञासु ! ‘गलै’ कहिये, आत्म - चिन्तन के प्रेम में गलतान होकर, सांसारिक मायावी पदार्थों की इच्छा को त्यागकर, परमेश्वर से पराभक्ति द्वारा ओत - प्रोत होकर प्रार्थना करते हैं कि हे चेतन्य स्वरूप परमेश्वर ! हम आपसे सदैव ओत - प्रोत रहते हुए आपका स्मरण करते रहें । तब परमेश्वर ऐसे संतों पर अपनी दया करके, अपना स्वरूप परिचय कराते हैं ॥३२॥
(क्रमशः)

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