सोमवार, 25 अगस्त 2014

#daduji 

||दादूराम सत्यराम||
तुम को हमसे बहुत हैं, हमको तुमसे नांहि ।
दादू को जनि परिहरै, तूँ रहु नैंनहुँ मांहि ॥ ७४ ॥
टीका ~ हे स्वामिन् ! आपको तो हमारे जैसे सेवक बहुत हैं, परन्तु हम विरहीजनों को आप जैसा स्वामी और कहीं भी नहीं मिल सकता है । इसलिए अब आप हमारा त्याग नहीं करना और आप हमारे सदैव नेत्रों में बसना ॥ ७४ ॥
गज सिंह बीकानेर को, कियो बादशाह दूर । 
द्वादश वर्ष सेवा करी, भूखो रह्यो हजूर ॥
दृष्टान्त ~ एक बार बादशाह ने बीकानेर के राजा गजसिंह को किसी कारण, अपने दरबार से मुक्त कर दिया और उसका राज्य ले लिया । परन्तु राजा बारह वर्ष तक भूखा रहकर, प्रेम से बादशाह की सेवा करता रहा । फिर बादशाह ने पूछा ~ तुम्हारे पास राज्य तो नहीं है फिर सेवा कैसे करते हो ? राजा बोला ~ आपको तो मेरे समान बहुत है, किंतु मेरे लिये आपके समान कोई नहीं है । इस उत्तर से बादशाह ने प्रसन्न होकर उसका राज उसको वापिस दे दिया ।

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