सोमवार, 25 अगस्त 2014

= ए. त. २५-२६ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्‍वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
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*(“एकोनविंशति तरंग” २५-२६)*
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*इन्दव छन्द*
*श्री दादूजी के पास श्यामदास जी आये* 
श्याम सुनाम जु सज्जन आवत, 
मोरड़ा ग्राम हिं दर्शन पाई । 
दर्शन पाय रू दँडवत् कीन्हहुँ, 
प्रश्‍न कियो गुरु योग बताई । 
कौन सुयोग जु जीव मरै नहिं, 
नाद हिं बिन्दु भरे घट थाई । 
उत्तर यों सुनि शिष्य भयो पुनि, 
द्वार झलाणहिं भक्ति दिपाई ॥२५॥ 
गुरुदेव जब मोरड़ा ग्राम में विराज रहे थे, तब श्यामदास नामक एक सज्जन संत दर्शन को आये । चरणों में दण्डवत् प्रणाम करके उन्होंने योग साधना के विषय में गुरुदेव से पूछा कि - ‘‘कौन से योग साधन से जीव मरता नहीं है’’ ? तब श्री दादूजी ने फरमाया - 
नाद बिन्दु से घट भरे, सो योगी जीवै । 
दादू काहे को मरे, राम राम रस पीवै ॥ 
गुरुदेव का उत्तर सुनकर श्यामदास शिष्य बन गये, और झालाणा ग्राम में गुरुद्वारा बनाकर भक्ति करने लगे । नाद बिन्दु(प्रणवाक्षर ऊँ का) सम्पुट लगाकर निरंजन राम नाम का निरनतर जाप करने लगे ।(ऊँ निरंजन राम)मंत्र का जाप करने से उन्हें पूर्ण योग की प्राप्ति हुई ॥२५॥ 
*मनोहर - छन्द* 
*श्री दादूजी सांभर पधारे* 
पंथ ही प्रयाण करे, सांभर पधारे गुरु, 
देश ही विदेश और मिले सब संत जू । 
चर्चा कहत सुने, दर्शन भाव जन, 
चरण कमल पेखि गावत बसंत जू । 
सबद उच्चारि मुख, तीरथ करत सुख, 
स्वामी पास बैठे जन, उद्धरे अनंत जू । 
पूरब पश्‍चिम देखि, उत्तर दक्षिण पेखि, 
नाम को निशान गूंजे गुरु निज पंथ जू ॥२६॥ 
तत्पश्‍चात् गुरुदेव श्री दादूजी पैदल प्रयाण करते हुये साँभर नगर में पहुँचे । वहाँ देश विदेश में भ्रमण करके आये हुये बहुत संत परस्पर मिले । अपनी - अपनी रामत की चर्चायें की । परस्पर दर्शन से प्रसन्न हुये । फिर गुरुचरणों की वन्दना करके बसंत राग में भजन गाये । साँभर नगर श्री दादूजी के विराजने से तीर्थरूप हो गया । चारों दिशाओं से भक्तजन दर्शनार्थी आने लगे । गुरुदेव ने अनन्त जीवों का उद्धार किया । नाम निशान प्रत्येक दिशा में गूंजने लगा ॥२६॥ 
(क्रमशः)

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