#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
साधु मिलै तब ऊपजै, हिरदै हरि का भाव ।
दादू संगति साधु की, जब हरि करै पसाव ॥
साधु मिलै तब ऊपजै, हिरदै हरि का हेत ।
दादू संगति साधु की, कृपा करै तब देत ॥
साधु मिलै तब ऊपजै, प्रेम भक्ति रुचि होइ ।
दादू संगति साधु की, दया कर देवै सोइ ॥
साधु मिलै तब ऊपजै, हिरदै हरि की प्यास ।
दादू संगति साधु की, अविगत पुरवै आस ॥
साधु मिलै तब हरि मिलै, सब सुख आनन्द मूर ।
दादू संगति साधु की, राम रह्या भरपूर ॥
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Mata Rani Bhatiyani Mandir Majisha Mandir Keriya ~
साध कै संगि अगोचरु मिलै ॥
साध कै संगि सदा परफुलै ॥
साध कै संगि आवहि बसि पंचा ॥
साधसंगि अम्रित रसु भुंचा ॥
साधसंगि होइ सभ की रेन ॥
साध कै संगि मनोहर बैन ॥
साध कै संगि न कतहूं धावै ॥
साधसंगि असथिति मनु पावै ॥
साध कै संगि माइआ ते भिंन ॥
साधसंगि नानक प्रभ सुप्रसंन ॥२॥
सरलार्थ : साधू की संगति से वह प्रभु मिल जाता है जो मन-इन्द्रियों की पहुँच से परे है| साधू की संगति द्वारा जीव सदा प्रसन्न रहता है| साधू की संगति करने से काम, क्रोध, लोभ. मोह, अहंकार वश में आ जाते है| साधू की सन्ति से जीव सबकी चरण धूलि बन जाता है| साधु की संगति करनेवाला मधुर वचन बोलता है| साधू की सन्ति करनेवाले के मन की भटकन समाप्त हो जाती है और उसका मन स्थिर हो जाता है| जीव साधु की संगति द्वारा माया से निर्लेप होकर प्रभु की प्रसन्नता प्राप्त कर लेता है|
Jai shree radhey krishna
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