रविवार, 31 अगस्त 2014


#daduji 

सीकरी प्रसंग १४ वां दिन 
१४ वें दिन अकबर बादशाह ने पू़छा- निर्गुणाराम और अवतारों में क्या भेद है ? यह भी बताइये । दादूजी ने कहा- निर्गुणराम केवल सत्ता मात्र देता है और अवतार उत्पत्ति आदि कार्य करते हैं जैसे -
राजस कर उत्पत्ति करे, सात्विक कर प्रतिपाल । 
तामस कर परलै करे, निर्गुण कौतुकहार ॥ ५ ॥
( साक्षी भू. अं. ३५)
फिर ५४ के पद से राम का स्वरुप इस प्रकार बताया- 
५४. स्वरूप गति हैरान । वर्ण भिन्न ताल
ऐसा राम हमारे आवै, वार पार कोई अन्त न पावै ॥ टेक ॥
हलका भारी कह्या न जाइ, मोल माप नहीं रह्या समाइ ॥ १ ॥
कीमत लेखा नहीं परिमाण, सब पच हारे साधु सुजाण ॥ २ ॥
आगो पीछो परिमित नांहिं, केते पारिख आवहिं जाहिं ॥ ३ ॥
आदि अन्त मधि कहै न कोइ, दादू देखै अचरज होइ ॥ ४ ॥
फिर ये साखियां भी कही-
जामे मरे सु जीव है, रमता राम न होय । 
जामण मरण तैं रहित है, मेरा साहिब सोय ॥ १२ ॥
उठै न बैठे एक रस, जागे सोवे नांहिं ।
मरे न जीवे जगद्गुरु, सब उपज खपे उस मांहिं ॥ १३ ॥
( पीव पह. अंग २०)

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