🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
*(“त्रयोविंशति तरंग” २७/२८)*
.
पहली आयसु आप कही जन,
दूसर का कहि देर न कीजे ।
तीसर आयसु के सँग स्वामिजु,
बैठि विमान सबै शुध लीजे ।
लेय चले शिवका गिरि कंदर,
संत उठावत हाथ गहीजे ।
दिव्य विमान हिं पार्षद आवत,
ताहिं उठा सत्यराम हिं कीजे ॥२७॥
(नां रगसै चमके शिवका कित, पाय आज्ञा जन दूर करीजे ।)
निजलोक प्रयाण हेतु पहली आज्ञा एक वर्ष पूर्व हुई थी, दूसरी आज्ञा दिव्य संतों ओर देवों के माध्यम से छ: मास पूर्व हुई, अब तीसरी बार हरि आज्ञा होते ही श्री दादूजी दिव्य पालकी में विराज गये । उस पालकी को संत उठाने लगे, किन्तु सबके मिलकर प्रयत्न करने पर भी वह उठ नहीं सकी, तब देव - पार्षदों ने सत्यराम कहते हुये पालकी को उठाया ॥२७॥
.
*श्री दादूजी की पालकी के साथ पारर्शद, सर्वदेव स्वागत में*
*छन्द*
संत सभी हरि नाम उचारत,
जै गुरु दादूराम उचारे ।
पाँच मुहूर्त हिं आय रहे गिरि,
भय हरणा तल खोल पधारे ।
कन्दर माँहिं विमान धरयो सुर,
आप बसन सबै तज दईये ।
नौतम अम्बर ल्याय धरे सुर,
अन्त समै सबको दर्श भइये ॥२८॥
सभी संत हरि कीर्तन और ‘जय गुरु दादूराम’ की ध्वनि करते हुये पीछे - पीछे चलने लगे । पाँच मुहूर्त के पश्चात् सभी जन पालकी के साथ भयहरण गिरि के तल में पहुँचे । गिरि कन्दरा में पालकी उतार कर श्री दादूजी भौतिक वस्त्र उतार दिये देवताओं द्वारा लाये गये नूतन दिव्य वस्त्र धारण किये । उपस्थित सभी शिष्य सेवक श्री दादूजी के अन्तिम दर्शन कर रहे थे ॥२८॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें