सोमवार, 20 अक्टूबर 2014

= १४९ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐 
दादू एता अविगत आप थैं, साधों का अधिकार । 
चौरासी लख जीव का, तन मन फेरि सँवार ॥ 
विष का अमृत कर लिया, पावक का पाणी । 
बाँका सूधा करि लिया, सो साध बिनाणी ॥ 
दादू ऊरा पूरा कर लिया, खारा मीठा होइ । 
फूटा सारा कर लिया, साधु विवेकी सोइ ॥ 
बंध्या मुक्ता कर लिया, उरझ्या सुरझ समान । 
बैरी मिंता कर लिया, दादू उत्तम ज्ञान ॥ 
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साभार : Reading for ever ~ 
गुरु नानक के बालपन की एक घटना का जिक्र कर रहा हूँ । 
बालक नानक छोटे ही थे । छोटे छोटे पैरों से चलते हुए किसी अन्य मोहल्ले में पहुँच गये एक घर के बरामदे में बैठी एक औरत विलाप कर रही थी । विलाप बहुत बुरी तरह से हो रहा था । नानक के बाल मन पर गहरा असर हुआ । नानक बरामदे में भीतर चले गये । तो देखा कि महिला की गोद में एक नवजात शिशु था ।
बालक नानक ने महिला से बुरी तरह विलाप करने का कारण पुछा । महिला ने उत्तर दिया, "पुत्र हुआ है, मेरा अपना लाल है ये, इसके और अपने दोनों के नसीबों को रो रही हूँ । कहीं और जन्म ले लेता, कुछ दिन जिन्दगी जी लेता । पर अब ये मर जायेगा । इसीलिए रो रही हूँ कि ये बिना दुनिया देखे ही मर जायेगा ।" नानक ने पुछा "आपको किसने कहा कि ये मर जायेगा" ? महिला ने जवाब दिया, "इस से पहले जितने हुए, कोई नहीं बचा ।"
नानक आलती पालती मार कर जमीन पर बैठ गये और बोले, "ला इसे मेरी गोद में दे दो ।" ( posted byInder Singh
महिला ने नवजात को नानक की गोद में दे दिया । 
नानक बोले, "इसने तो मर जाना है न" ? 
महिला ने हाँ में जवाब दिया तो नानक बोले, "आप इस बालक को मेरे हवाले कर दो, इसे मुझे दे दो," । महिला ने हामी भर दी । 
नानक ने पुछा,"आपने इसका नाम क्या रखा है ?" 
महिला से जवाब मिला,"नाम क्या रखना था, इसने तो मर जाना है इस लिए इसे मरजाना कह कर ही बुलाती हूँ ।" 
"पर अब तो ये मेरा हो गया है न" ? नानक ने कहा । 
महिला ने हाँ में सिर हिला कर जवाब दिया । 
"आपने इसका नाम रखा मरजाना, अब ये मेरा हो गया है, इसलिये मै इसका नाम रखता हूँ मरदाना(हिंदी में मरता न) ।" 
नानक आगे बोले, "अब ये है मेरा, मै इसे आपके हवाले करता हूँ । जब मुझे इसकी जरूरत होगी, मै इसे ले जाऊँगा," । 
नानक ने बालक को महिला को वापिस दिया और बाहर निकल गये । बालक की मृत्यु नहीं हुई । छोटा सा शहर था, शहर के सभी मोहल्लों में बात आग की तरह फ़ैल गयी । 
यही बालक गुरु नानक का परम मित्र तथा शिष्य था । सारी उम्र उसने बाबा नानक की सेवा में ही गुजारी । गुरु नानक के साथ मरदाना का नाम आज तक जुड़ा है तथा जुड़ा रहेगा । 

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