गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014

= १६१ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
 दादू सहज सरोवर आतमा, हंसा करै कलोल ।
सुख सागर सूभर भर्या, मुक्ताहल मन मोल ॥
दादू हरि सरवर पूरण सबै, जित तित पाणी पीव ।
जहाँ तहाँ जल अंचतां, गई तृषा सुख जीव ॥
सुख सागर सूभर भर्या, उज्जवल निर्मल नीर ।
प्यास बिना पीवै नहीं, दादू सागर तीर ॥
-------------------------------------
साभार : राजेश वशिष्ठ ~
अखण्ड समाधि सहज अवस्था रूप सरोवर है और चैतन्य ब्रह्मस्वरूप आत्मा ही जल भरा है । ऐसे अलौकिक सरोवर में मुक्त पुरुषों का जीवितमृतक हुआ मन, निर्विकल्प(विचार शुन्य) सरोवर से रामरूपी रत्नों को भक्ति - वैराग्य सहित अनुभव करता है।
निर्विकल्प समाधि अवस्था(विचार शुन्य) सरोवर है, जिसमें परमेश्वर ही कमलरूप है और अनन्य भक्तों का मन ही भँवरारूप से उस कमल में लीन रहता है । इसलिए हे मेरे मन परमेश्वर के सन्मुख होकर ब्रह्म अनुभवरूप सुवास अर्थात् सुगन्धित को प्रत्यक्ष करो ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें