बुधवार, 1 अक्टूबर 2014

#daduji 
दादू हरि भुरकी वाणी साधु की, सो परियो मेरे शीश ।
छूटे माया मोह तैं, प्रेम भजन जगदीश ॥ 
दादू भुरकी राम है, शब्द कहैं गुरु ज्ञान ।
तिन शब्दों मन मोहिया, उनमन लागा ध्यान ॥ 
---------------------------------------------------
मैं तुम्हारे 99 जहर पी लुंगा। तुम मेरा एक जहर पी लो ‘ध्यान’। अगर उसमे ताकत होगी तो वह तुम्हें नया मनुष्य बना देगा। तुम्हें न छोड़ना है, न थोपना है...सब ऐसे झड़ जायेगा जैस सूखा पत्ता वृक्ष से खूद-ब खूद गिर जाता है।
ध्यान से आदमी का चरित्र निर्मित होता है, संस्कार आते है, हजारों बंधन खुद खुल जाते, आदमी मुक्त आकाश में जीता है, कोई दिखाव नहीं करता। प्रेम और आनंद उसके आस पास झरता है।
ओशो.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें