#daduji
॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥
४०. चेतावनी उपदेश । सिंह लील ताल ~
खालिक जागे जियरा सोवे, क्यों कर मेला होवे ॥ टेक ॥
सेज एक नहिं मेला, तातैं प्रेम न खेला ॥ १ ॥
साँई संग न पावा, सोवत जनम गमावा ॥ २ ॥
गाफिल नींद न कीजे, आयु घटे तन छीजे ॥ ३ ॥
दादू जीव अयाना, झूठे भरम भुलानां ॥ ४ ॥
टीका ~ ब्रह्मऋषि दादूदयाल महाराज साधक को सावधान होने के उपदेश करते हैं कि खलक को रचने वाला परमेश्वर, सदा जागता है और यह जीव अज्ञान निद्रा में सो रहा है । तो इस जीव का ईश्वर से कैसे मिलाप होवे ? अन्तःकरण रूपी सेज पर ही ईश्वर और जीव दोनों स्थित हैं, अर्थात् कूटस्थ रूप ईश्वर और आभास रूप जीव । परन्तु अन्तर्मुख वृत्ति से जीव प्रेमा - भक्ति द्वारा स्मरण नहीं करता है । इसीलिये स्वामी के साथ रहता हुआ भी यह पहचान नहीं पाता । अज्ञान - निद्रा में ही अमूल्य मनुष्य - जन्म को व्यर्थ गँवा दिया है । हे जीव ! अब नींद में गाफिल मत हो, क्योंकि तेरी आयु दिन - दिन घटती जा रही है और शरीर क्षीण हो रहा है । हे अज्ञानी जीव ! इस मिथ्या भ्रम में पड़कर, सत्य - स्वरूप परमेश्वर को क्यों भूल बैठा है ?
छन्द ~
बेर बेर कह्यो तोहि, सावधान क्यूं न होइ,
ममता की मोट शिर, काहे को धरत है ।
मेरो धन मेरो धाम, मेरो सुत मेरी बाम,
मेरे पशु मेरो ग्राम, भूल्यो यूं फिरत है ।
तूँ तो भयो बावरो, बिकाइ गई बुद्धि तेरी,
ऐसो अन्ध - कूप गेह, तामे तूँ परत है ।
सुन्दर कहत तोहि, नेकहु न आवै लाज,
काज कूँ बिगार के, अकाज क्यूँ करत है ॥ ४० ॥
The Lord is awake and you are asleep;
How can union be accomplished?
The bed is the same and yet there is no meeting;
That is why the game of love was not played.
The company of the Beloved was not obtained
And life was lost in sleep.
Be not negligent and sleep no morel
Life is waning and the body is decaying.
The ignorant person is vainly lost in delusion,
laments Dadu.
Khalik jage jiyara sovai
(English
translation from "Dadu~The Compassionate Mystic"
by K.
N. Upadhyaya~Radha Soami Satsang Beas)
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