🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*श्री सन्त-गुण-सागरामृत श्री दादूराम कथा अतिपावन गंगा* ~
स्वामी माधवदास जी कृत श्री दादूदयालु जी महाराज का प्राकट्य लीला चरित्र ~
संपादक-प्रकाशक : गुरुवर्य महन्त महामण्डलेश्वर संत स्वामी क्षमाराम जी ~
.
*(“पञ्चविंशति तरंग” ७/८)*
.
*संत देश देशांतर में*
केतिक पूरब दक्षिण पश्चिम,
केतिक उत्तर देश निवासी ।
केतिक मारु मेवाड़ रु मालव,
नागर चाल हडोति जु वासी ॥
केतिक संत पंजाब हरियाणहु,
केते रमे गुजरात उपासी ।
केते ढुंढाड़ नराणे दिपे पुनि,
दास गरीब सबै सुखराशी ॥७॥
कुछ संत पूर्व दिशा में तो कुछ पश्चिम में, कोई उत्तर में तो कोई दक्षिण में पधार गये । कितने ही संत मरुधर, मेवाड़, मालव, नागर प्रदेश हाड़ोती, पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात प्रान्त में जाकर निवास करने लगे । कुछ साधु ढूंढार क्षेत्र और नारायणपुर में ही रहकर भजन करते रहे । गरीबदासजी समय - समय पर सभी के सुख पूछते रहते ॥७॥
.
*श्री दादूजी के पांच धाम*
संत नये गुरुगादि गरीबहिं,
भाव रहे उर इष्ट सदा ही ।
साधु शुची गुणज्ञान धरें सब,
दें वरदान सबै हरषाही ।
पंथ प्रधान सुधाम नरायण,
भयहरणां गिरि तीर्थ रहा ही ।
साँभर अम्बपुरी जु कल्याणहिं,
पंचहु धाम सुतीर्थ कहा ही ॥८॥
गुरुगद्दी पर विराजित श्रीगरीबदास जी के प्रति सभी साधु संत श्रद्धा रखते थे । इष्टदेव परब्रह्म की उपासना में दृढ़ सभी साधुओं के भाव शुचिता, साधुता ज्ञानगरिमा से परिपूर्ण थे । भक्त सेवकों को वरदान देकर वे हर्षित करते रहते । श्रीदादूजी के पंथ अनुयायियों के लिये प्रधान गुरुधाम नारायणपुर माना जाने लगा । भयहरण गिरि तीर्थरूप मुक्तिधाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ । साँभर परिचयधाम, आमेर, लीलाधाम और कल्याणपुरी साधना - धाम के नाम से विख्यात हुए । इस तरह श्रीदादूपंथ के पाँच तीर्थ, भक्ति ज्ञान, वैराग्य कल्याण और मुक्ति के प्रेरक रूप में उजागर हुए ॥८॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें