शुक्रवार, 30 जनवरी 2015

#daduji
गर्व न कीजिये रे, गर्वै होइ विनाश ।
गर्वै गोविन्द ना मिलै, गर्वै नरक निवास ॥ टेक ॥
गर्वै रसातल जाइये, गर्वै घोर अन्धार ।
गर्वै भौ-जल डूबिये, गर्वै वार न पार ॥ १ ॥
गर्वै पार न पाइये, गर्वै जमपुर जाइ ।
गर्वै को छूटै नहीं, गर्वै बँधे आइ ॥ २ ॥
गर्वै भाव न ऊपजै, गर्वै भक्ति न होइ ।
गर्वै पिव क्यों पाइये, गर्वै करै जनि कोइ ॥ ३ ॥
गर्वै बहुत विनाश है, गर्वै बहुत विकार ।
दादू गर्व न कीजिये, सन्मुख सिरजनहार ॥ ४ ॥

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