#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू जब ही राम बिसारिये, तब ही मोटी मार ।
खंड खंड कर नाखिये, बीज पड़ै तिहिं बार ॥
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@Ramjibhai Jotaniya ~ जय जय श्री राम
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(भावसमाधि )
योगियों का कहना है कि जब तुम्हारी भावसमाधि लगती है तब तुम्हारे प्राण ऊध्र्वगामी हो जाते हैं । तुम्हारी आँख बन्द हो और तुम कहीं ऊँचाई से गिर पडो तो भी तुम्हारे शरीर को चोट नहीं लगती ।
एक बार बुद्ध भगवान किसी पर्वत पर बैठे थे और एक बडी शिला पर्वत पर से लुढकती-लुढकती आयी । बुद्ध जहाँ बैठे थे वहाँ से थोडी दूर के अंतराल से शिला के दो टुकडे हो गये । एक टुकडा दायीं ओर गिरा एवं दूसरा बायीं ओर । केवल एक छोटा - सा कंकर बुद्ध के पैर में लग गया ।
शिष्यों द्वारा उस विषय में पूछने पर बुद्ध ने कहा : ‘‘मेरी ध्यान की तल्लीनता में जरा-सी कमी रह गयी होगी तभी यह छोटा-सा कंकर पैर में लगा, अन्यथा यह भी न लगता ।"
तुम जितने अंश में ईश्वर में तल्लीन होगे उतने ही अंश में तुम्हारे विघ्न और परेशानियाँ अपने-आप दूर हो जायेंगी और जितने तुम अहंकार में डूबे रहोगे उतने ही दुःख, विघ्न और परेशानियाँ बढती जायेंगी ।

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