रविवार, 8 फ़रवरी 2015

= १११ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
अनदेख्या अनरथ कहैं, अपराधी संसार ।
जद तद लेखा लेइगा, समर्थ सिरजनहार ॥
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महाभारत में भगवान् ने अर्जुन को उपदेश दिया था की बड़ों के मुँह पर उनकी निन्दा करना उनकी हत्या करना है और अपने मुँह से अपनी बड़ाई करना आत्महत्या है । यह बड़ा ही घृणित कार्य है । जैसे अपने मुख से बड़ाई करना आत्महत्या है, ऐसे ही अपने कानों से अपनी बड़ाई सुनना भी आत्महत्या के ही सदृश है । पर यह आत्महत्या तो हम बड़े शौक से करते है । क्या कहा जाय ।
भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, दुःख में भगवत्कृपा, पुस्तक कोड ५१४, पृष्ठ संख्या १२७, गीताप्रेस गोरखपुर

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