मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

= १२९ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू दर्शन की रली, हम को बहुत अपार ।
क्या जाणूं कबही मिले, मेरा प्राण आधार ॥
दादू कारण कंत के, खरा दुखी बेहाल ।
मीरां मेरा महर कर, दे दर्शन दरहाल ॥
ताला बेली पीड़ सौं, विरहा प्रेम पियास ।
दर्शन सेती दीजिये, बिलसै दादू दास ॥
================
साभार : Bhagwan Shri Ram
हे दीनानाथ कब तक तरसाओगे । जन्म जन्म की प्यास कब बुझेगी । नाथ मैंने कोइ रियासत का राज्य तो माँग नहीं लिया । जिसे देने मेँ आपको विधाता का लिखा पलटना पड़े । कोइ अनुचित माँग मैं नहीं कर रहा । एक झलक ही तो दिखानी है अपनी सलोनी मतवारी सूरत की । मात्र पर्दा ही तो हटाना है पर्दा हटा और हो गई मेरे मन की साध पूरी । 
.
अँश का हो गया अँशी से मिलन । और यदि मुझे झलक दिखाना तुम्हे स्वीकार नहीं या तुम मुझे दर्शन देना ही नहीं चाहते तो सरकार जरा बताईये डोरे क्यों डाले थे मुझ पर ? क्यो मेरे मन को खीँचकर कहीँ का नहीं रहने दिया । इतना आकर्षण क्यों जगाया मेरे हृदय मेँ कि एक क्षण को भी कहीं और नहीं जाता दिन रात हरे राम हरे राम की रट लगाए रहता है । 
.
किसी को देखना तो क्या किसी के विषय मेँ कहना सुनना भी नहीं भाता जब देखो हरे राम हरे राम की तान चढाए रहता है । जैसे तुम्हारी कथा कोइ मादक पदार्थ हो ऎसे नशा चढा रहता है इसे । जिव्हा षटरस नवरस छोड़ कर हरे राम नाम रस मेँ चूर रहती है । यह हाल कर दिया मेरा कि दिवाना हुआ घूमता हूँ । इसीलिये दुहाई है सरकार या तो झलक दिखा कर जीने का सामान करो नहीं तो मुझे मेरा हृदय वापिस करदो । पर और न तड़पाओ....
हरे राम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें