#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू झूठ दिखावै साच को, भयानक भयभीत ।
साचा राता साच सौं, झूठ न आनै चीत ॥
साचे को झूठा कहैं, झूठा साच समान ।
दादू अचरज देखिया, यहु लोगों का ज्ञान ॥
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Bhakti ~ सिकंदर और चोर !!!
एक बार सिकंदर के फ़ौजी पड़ाव में एक चोर ने रात को चोरी करने का प्रयास किया। सिकंदर के सैनिक हर वक्त सजग रहते थे, इसलिए उन्होंने पूरी मुस्तैदी दिखाते हुए उसे पकड़ लिया। सुबह सैनिक ने उसे सिकंदर के सामने पेश किया। सिकंदर इस बात के लिए हैरान था कि आखिर किसी ने ऐसी हिम्मत कैसे की ?
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सिकंदर ने कड़क कर उससे कहा- तुम कैसे बदतमीज़ हो ? कैसे अनैतिक व्यक्ति हो, जो चोरी करने जैसा घृणित काम करते हो। यह सुनकर चोर बिना डरे बोला- आपको मुझसे ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। जैसा एक बड़ा भाई, छोटे भाई के साथ व्यवहार करता है, वैसा व्यवहार करें।
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सिकंदर ने कहा- तू मेरा छोटा भाई कैसे हो सकता है ? चोर बोला- तुम बड़े चोर हो, तुम्हारे पास ताक़त है इसलिए दुनिया तुम्हें मानती है। हम छोटे चोर हैं, हमारी शक्ति कम है, इसलिए हम छोटी-छोटी चोरी करते हैं जिस कारण दुनिया हमें मानती नहीं बल्कि दंडित करती है। तुम भी करते वही हो, जो हम करते हैं। तुम बड़े डाके डालते हो। तुम डाके न डालो तो राजा कैसे बनोगे ? बड़े से बड़े राजा भी चोरी करते हैं। हां, उनकी चोरी स्वीकृत है क्योंकि बड़े चोर हैं और ताक़तवर चोर हैं, इसलिए वे हड़प लेते हैं तो उसको जीत कहा जाता है।
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वे ज़मीन बढ़ा लेते हैं तो उसे राज्य कहा जाता है। समाज उन्हें मान्यता देता है क्योंकि समाज उनकी ताक़त से डरता है। जो ताक़तवर कह दे, वही कानून बन जाता है। कम ताक़तवर सज़ा भोगते हैं और ताक़तवर अपनी चोरी का पुण्य लूटते हैं, मज़े करते हैं। राजन, न्याय सभी के लिए समान होना चाहिए। जो ग़लत है, अनैतिक है, उसका विरोध प्रत्येक स्तर पर होना चाहिए। चोर की बात सुनकर सिकंदर बहुत लज्जित हुआ। उसने चोर को तत्काल छोड़ने का हुक्म दिया।

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