#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू निर्मल शुद्ध मन, हरि रंग राता होइ ।
दादू कंचन कर लिया, काच कहै नहीं कोइ ॥
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True Indian ~
एक छोटा बच्चा था । बहुत ही नेक और होशियार था । पढ़ने में भी काफी तेज था .. एक दिन वो मंदिर में गया । मंदिर के अन्दर सभी भक्त भगवान के दर्शन कर रहे थे और मंत्र बोल रहे थे । कुछ भक्त स्तुतिगान भी कर रहे थे । कुछ भक्त संस्कृत के काफी कठिन श्लोक भी बोल रहे थे।
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लड़के ने कुछ देर यह सब देखा और उसके चहेरे पर यूँही मायूसी छा गयी । क्योंकि उसे यह सब प्रार्थना और मंत्र बोलना आता नहीं था । कुछ देर वहाँ खड़ा रहा और कुछ उपाय खोजने लगा । कुछ पल में ही लड़के के चहेरे पर मुस्कराहट छा गयी ।
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उसने अपनी आँखे बंद की, अपने दोनों हाथ जोड़े और दश बार क-ख-ग-घ... बोलने लगा।
मंदिर के पुजारी ने यह देखा उसने लड़के से पूछा की "बेटे तुम यह क्या बोल रहे हो, लड़के ने पूरी बात बताई ।"
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पुजारी ने कहा की "बेटे भगवान से इस तरह से प्रार्थना नहीं की जा सकती, तुम तो क-ख-ग-घ... बोल रहे हो ।"
लड़के ने उत्तर दिया की "मुझे प्रार्थना, मंत्र, भजन नहीं आते. मुझे सिर्फ क-ख-ग-घ... ही आती है. प्रार्थना, मंत्र, भजन यह सब क-ख-ग-घ... से ही बनते है । मैं दस बार क-ख-ग-घ... बोल गया हूँ । यह सब शब्द में से भगवान अपने लिए खुद प्राथना, मंत्र, भजन बना लेंगे ।"
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लड़के की बात सुनकर पुजारी जी चुप हो गए । उनको अपनी भूल का एहसास हो गया । उन्होंने बच्चें को बहुत सारा प्रसाद दिया और एक प्रार्थना सिखा दी ।
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बोध –सीख
प्रार्थना हदय को साफ और निर्मल करती है ..
शब्दों का महत्व नहीं है – भाव का महत्व है ..
नेक दिल से की हुई प्रार्थना भगवान तक जरूर पहुचती है ..
प्रार्थना के अन्दर जब भाव मिल जाता है तो भगवान के दर्शन जरूर होते हैं।
धार्मिक पत्रिका से संकलित
॥वन्दे मातरम् ॥

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