गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

= १४१ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
रती रती कर डारै मोहि, 
सॉंई संग न छाडूं तोहि ॥
भावै ले सिर करवत दे, 
जीवन मूरी न छाडूं तोहि ॥
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साभार : Gita Press, Gorakhpur
मृत्यु को स्वीकार कर ले, किन्तु भगवान् के नामजप व स्मरण को नहीं छोड़े | मरना तो है ही, फिर भगवान् के नाम को लेते हुए यदि मृत्यु हो तो इससे बढ़कर और क्या हो ? भगवान् से प्रार्थना करे कि मरते समय आपके नामका जप हो, चाहे आप दर्शन न दें, किन्तु श्रद्धा-भक्तिपूर्वक आपके नाम का जप और स्मृति बनी रहे, भगवान् से यह प्रार्थना करे, माँग करे | यह कामना होते हुए भी इतनी शुद्ध और पवित्र है कि इससे मुक्ति हो जाय | शरीर भले आज ही छूट जाय, किन्तु भगवान् को याद करते हुए छूटे |
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- Jaydayalji Goyandka - Sethji
‘परम सेवा’ पुस्तक से’

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