शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

= १४५ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
सन्त सदा उपदेश बतावत, 
केश सबै सिर सेत भये हैं ।
तूं ममता अजहूँ नहिं छाड़त, 
मौत हू आइ संदेश दये हैं ॥
आज कि काल्हि चलै उठि मूरिख, 
तेरे ही देखत केते गये हैं ।
सुन्दर क्यौं नहिं रांम संभारत, 
या जग मैं कहि कौन रहे हैं ॥५॥
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साभार : @Ramjibhai Jotaniya ~
॥ कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत ॥

अजहूँ चेति अचेत सबै दिन गए विषय के हेत..
तीनौं पन ऐसैं हीं खोए, केश भए सिर सेत..
आँखिनि अंध, स्त्रवन नहिं सुनियत, थाके चरन समेत..
गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि-तजि पूजत प्रेत..
मन-बच-क्रम जौ भजै स्याम कौं, चारि पदारथ देत...
ऐसौ प्रभू छांड़ी क्यौं भटकै, अजहूँ चेति अचेत...
राम नाम बिनु क्यौं छूटौगे, चंद गहैं ज्यौं केत..
सूरदास कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत..॥
"(सूरदास जी के सूर विनय पत्रिका से).......
सो भजो रे भईया ..राम गोविन्द ..
हरि ..श्री नारायण हरिः ....@आत्म चैतन्य ॥

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