#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू हरि भुरकी वाणी साधु की,
सो परियो मेरे शीश ।
छूटे माया मोह तैं, प्रेम भजन जगदीश ॥
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साभार : @बिष्णु देव चंद्रवंशी ~
आनंद का मूल है-संतोष।
______श्री कृष्ण हरी !!
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जैसे जल द्वारा अग्नि को शांत किया जाता है वैसे ही ज्ञान के द्वारा मन को शांत रखना चाहिए
______ श्री कृष्ण हरी !!
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प्रत्येक बालक यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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मनुष्य क्रोध को प्रेम से, पाप को सदाचार से लोभ को दान से और झूठ को सत्य से जीत सकता है।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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नम्रता और मीठे वचन ही मनुष्य के आभूषण होते हैं। शेष सब नाममात्र के भूषण हैं।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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धर्म करते हुए मर जाना अच्छा है पर पाप करते हुए विजय प्राप्त करना अच्छा नहीं।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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जिस प्रकार रात्रि का अंधकार केवल सूर्य दूर कर सकता है, उसी प्रकार मनुष्य की विपत्ति को केवल ज्ञान दूर कर सकता है।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
______ श्री कृष्ण हरी !!
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मन ही मानव के बंध और मोक्ष का कारण है, जो वह विषयासक्त हो तो बंधन कराता है और निर्विषय हो तो मुक्ति दिलाता है ।
______ श्री कृष्ण हरी !!

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