गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

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#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
एक मुहूर्त मन रहै, नांव निरंजन पास ।
दादू तब ही देखतां, सकल कर्म का नास ॥ १२ ॥
सहजैं ही सब होइगा, गुण इन्द्रिय का नास ।
दादू राम संभालतां, कटैं कर्म के पास ॥ 
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साभार : @Ramjibhai Jotaniya ~

मनुष्य के दुःख का मुख्य कारण ~
"मनुष्य के दुःख का, संताप का, बैचेनी का, परेशानी का मुख्य कारण है उसका अपने स्वरूप का विस्मरण होना है, उसके द्वारा किए गये वो सारे के सारे कर्म जो उसको अपने स्वरूप से दूर ले जाते है दुःख का कारण बनते है क्योंकि अपने स्वभाव से दूर जाने की कोशिश मनुष्य को दुःखी करती है, उसे खिलने नहीं देती जैसा होने के लिए वो यहाँ आया है।
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आत्मज्ञानी ने अपने स्वरूप का स्मरण कर लिया है, उसका फूल पूर्ण खिल गया है जिसके लिए वो पैदा हुआ था इसलिए ज्ञानी को दुःख, संताप, बैचेनी और परेशानी नहीं होती, वो सभी दुःख सुख में हर वक्त सम रहता है, वही स्थित-प्रज्ञ होता है।
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इसलिए मनुष्य के दुःख दूर करने का उपाय है अपने स्वरूप का स्मरण भर कर लेना और इसके लिए कोई विशेष साधना की ज़रूरत नहीं है, केवल जो हम विचारो से, अपने अहंकार के वशीभूत अपने को अपने असली स्वरूप के अतिरिक्त कुछ भी और मान लिया है उसे फिर से स्मरण कर जान ले तो जीवन मे फिर कभी दुःखी नही हो सकते, सदा ही आनंद मे, शांति मे रहते है और जन्म-मरण से छुटकारा भी पा लेते है।"

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