शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

= १०१ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*रोम रोम लै लाइ धुनि, ऐसे सदा अखंड ।*
*दादू अविनाशी मिले, तो जम को दीजे दंड ॥*
दादू जरा काल जामण मरण, जहाँ जहाँ जीव जाइ ।
भक्ति परायण लीन मन, ताको काल न खाइ ॥
मरणा भागा मरण तैं, दुःखैं नाठा दुःख ।
दादू भय सौं भय गया, सुःखैं छूटा सुःख ॥
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साभार : @Jawano Ki Kranti ~

संन्यास का अर्थ है, मृत्यु के प्रति प्रेम। सांसारिक लोग जीवन से प्रेम करते हैं, परन्तु संन्यासी के लिए प्रेम करने को मृत्यु है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम आत्महत्या कर लें। आत्महत्या करने वालों को तो कभी मृत्यु प्यारी नहीं होती है। संन्यासी का धर्म है समस्त संसार के हित के लिए निरंतर आत्मत्याग करते हुए धीरे - धीरे मृत्यु को प्राप्त हो जाना।

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