#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दया धर्म का रूंखड़ा, सत सौं बधता जाइ ।
संतोष सौं फूलै फलै, दादू अमर फल खाइ ॥१६॥
टीका ~ हे जिज्ञासु ! दया रूप धर्म का वृक्ष, सत्य स्वरूप परमात्मा का नाम स्मरण रूप जल प्राप्त करके, हरा भरा रहता है, और फिर संतोष के द्वारा, भक्ति रूप फूल, और ज्ञान वैराग्य रूपी फल को प्राप्त करता है । उस फल को उत्तम साधक भक्षण करके, जीवन - मुक्त होते हैं ॥१६॥
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कोइ नृप के तन कोढ हो, हंस दरश के काज ।
सदाव्रत पक्षिन दियो, सुन आयो खगराज ॥
दृष्टान्त ~ एक राजा के शरीर में कोढ़ हो गया । उससे राजा का शरीर जलता रहता । एक महात्मा ने बताया कि हंस का दर्शन करने से यह बीमारी नष्ट हो जाएगी । राजा ने पूछा ~ हंसों का दर्शन कैसे होवे ? महात्मा बोले ~ पक्षियों को सदाव्रत दिया करो, अर्थात् भोजन दिया करो । कभी हंस भी आ जावेंगे और उनका दर्शन पा लोगे ।
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राजा वैसे ही करने लगा । एक समय मानसरोवर पर अकाल पड़ गया । हंस हंसनी उड़ते हुए, सदाव्रत के लिए राजा के यहाँ आ गये । राजा आया और उनको मोतियों का भोजन दिया । उनका दर्शन करते ही राजा का कोढ निवृत्त हो गया ।
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दूधां न्हावो, पूतां फलो, समर्थ भरो भंडार ।
बखना ताकी धन्य घड़ी, साध जिमावैं द्वार ॥
जा घर साधु संचरै, रुचि कर भोजन लेइ ।
बखना ताके भवन की, नौ ग्रह चौकी देइ ॥
दाता तरवर दया फल, उपकारी जीवन्त ।
पक्षी चले दिसावरां, वृक्षा सुफल फलन्त ॥
धर्मात्मा वृक्ष रूप हैं, उनके दया रूपीफल है । ऐसे उपकारी संसार में जीवित हैं । पक्षी हंस - हंसनी ने आशीर्वाद दिया कि हे वृक्ष रूप राजा ! तूँ हमेशा सुन्दर फलों से फलता - फूलता रहना । यह कहकर मानसरोवर को उड़ चले ।
(श्री दादूवाणी ~ बेली का अंग)
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सपना तिवारी ~
भगवान् की बनाई ये दुनिया बहुत ही सुंदर है । हम सब यहाँ शांति से रह सकते हैं पर शांति ही जैसे किसी के भाग्य में नहीं । हर कोई यहाँ बैचैन और अशांत नजर आता है क्यों ???
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शांति अगर बाहर ढूंढोगे तो कभी नहीं मिलने वाली है । वो पैसों से भी खरीद कर मिलने वाली चीज नहीं है उसे पाना हो तो मन के अंदर ही झांक कर देखो वो आप को वहीं मिलेगी बस सिर्फ समझने की बात है, साधू संत कोई चमत्कार नहीं करते वो तो आप को सही समझ देते हैं ताकि अपने ही अंदर की बातों को हम सही रीती से समझ सकें ।
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आप सभी अपने कर्तव्य बोध को जानें और समझें, परिवार में सामंजस्य बनायें, एक दूसरे क़े प्रति श्रद्धा, विश्वास और नम्रता का भाव अपनाएं. घृणा त्याग दें. अपने - अपने काम पर सभी लग जाएँ. एक दूसरे की गलतियों पर ध्यान न दें. सही गलत की पहचान कराएँ. बड़ा बड़े की तरह रहें और छोटा, छोटे की तरह रहे. सभी अपने अधिकार और कर्तव्यों को समझें. तब देखिये, आपके घर में अपने - आप फिर से शांति का प्रवेश हो जायेगा. फिर से शांति छा जायेगी.
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आकाश को रोज देखते हो न सूरज सही समय पर आकर चला जाता है कोई उसके काम में व्यवधान नहीं डालता चाँद अपनी चांदनी बिखेरता है तारे टिमटिमाते हैं वायु कभी बहना बंद नहीं होता प्रकृति सबको जल सामान्य रूप से दे रही है कहीं कोई छेड़छाड़ नहीं तो देखो न कितनी शांति छायी रहती है.
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पुरे विश्व में शांति के अभाव के कारण तूफ़ान मचा हुआ है हर जगह खून खराबा मार काट चोरी डकैती लूट पाट चारों तरफ जैसे हाहाकार मचा हुआ है. अगर कोई किसी के काम में बिना बात के दखल न दे छेड़छाड़ न करे, अगर सभी को सामान्य जीवन जीने का हक मिल जाये तो फिर विश्व शांतिमय हो जाएगा........
काश कि ऐसा ही हो ॐ शांति शांति शांति
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