शुक्रवार, 1 मई 2015

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॥ दादूराम सत्यराम ॥
दादू बँध्या जीव है, छूटा ब्रह्म समान ।
दादू दोनों देखिये, दूजा नांही आन ॥
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साभार : @Ramjibhai Jotaniya ~

मन की पकड़ ~
"परमात्मा की लीला का सारा खेल ही मन की पकड़ पर निर्भर है, आप उतने ही बँधे हो जितनी आपके मन की पकड़ है मनुष्यों के प्रति, जीव-जन्तु, पेड़-पोधे, पदार्थ, शास्त्रो के प्रति, गुरु के प्रति, अपने अपने धर्मो, सिद्धांतो, मान्यताओ, अंधविश्वाशो के प्रति।
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जितना तुम अपने अंतर्विवेक से, अपने स्वयं के ज्ञान से इनको जितना जान लेते हो इनसे उतने मुक्त हो जातो हो उतने ही आनंद, शांति को उपलब्ध हो जाते हो।
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जिसकी जितनी पकड़ है वो उतना ही बँधा हुआ है,जो सौ प्रतिशत पकड़े हुआ है वो सौ प्रतिशत बँधा है, जिसने सौ प्रतिशत पकड़ छोड़ दी है वह सौ प्रतिशत जीते जी मुक्त ही है।"

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