सोमवार, 25 मई 2015

= १७९ =

#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥ 
दादू जीवन मरण का, मुझ पछतावा नांहि ।
मुझ पछतावा पीव का, रह्या न नैनहुँ मांहि ॥ 
स्वर्ग नरक संशय नहीं, जीवन मरण भय नांहि ।
राम विमुख जे दिन गये, सो सालैं मन मांहि ॥ 
स्वर्ग नरक सुख दुख तजे, जीवन मरण नशाइ ।
दादू लोभी राम का, को आवै को जाइ ॥ 
===================
NP Pathak ~ साभार...... 
दीपक राज कुकरेजा....
राम का नाम न जाने... 
उनकी जिंदगी बेकार है ……..
-------------------------
राम नाम जान्यो नहीं, भइ पूजा में हानि |
कहि रहीम क्यों मानिहै, जम के किंकर कानि ||
कविवर रहीम कहते हैं कि जिस मानव ने राम की महिमा नहीं समझी और अन्य देवों की ही पूजा की तो उसमें उसे हानि ही होती है। ऐसे में यमराज के सेवक किसी मर्यादा को नहीं मानेंगे।
.
राम नाम जान्यो नहीं, जान्यो सदा उपाधि |
कहि रहीम तिहिं आपुनो, जनम गंवायो वादि ||
कविवर रहीम कहते हैं कि जिन लोगों ने नाम का नाम धारण न कर अपने धन, पद और उपाधि को ही जाना और राम के नाम पर विवाद खडे किये उनका जन्म व्यर्थ है. वह केवल वाद-विवाद कर अपना जीवन नष्ट करते हैं।
व्याख्या- राम का नाम ही सत्य है और बाक़ी अन्य देवों की पूजा से क्या लाभ. उससे तो मन इधर उधर भटकता है ऐसे में जब मृत्यु आती है तो बहुत तकलीफ होती है और पूरा जीवन भी राम का नाम लिए बिना बडे कष्ट से बीतता है। यहाँ कवि रहीम अपने मन के उदगारों को व्यक्त करते हैं और इससे पता लगता है कि तुर्क होने के बावजूद उन्होंने भारतीय अध्यात्मिक पुरुष भगवन श्री राम एवं उनके नाम स्मरण का कितना महत्त्व समझा। इसके विपरीत हम पूर्ण भारतीय परमात्मा के विभिन्न स्वरूपों में स्मरण कर स्वयं कि भ्रम में डालते हैं जो बाद में हमारे लिए ही तनाव का कारण बनता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें