सोमवार, 25 मई 2015

#‎daduji‬ 
॥ श्री दादूदयालवे नम: ॥
२२९. जीव - उपदेश । भंग ताल ~
निरंजन जोगी जान ले चेला, सकल वियापी रहै अकेला ॥ टेक ॥ 
खपर न झोली डंड अधारी, मढ़ी न माया लेहु विचारी ॥ १ ॥ 
सींगी मुद्रा विभूति न कंथा, जटा जाप आसन नहिं पंथा ॥ २ ॥ 
तीरथ व्रत न वनखंड वासा, मांग न खाइ नहीं जग आसा ॥ ३ ॥ 
अमर गुरु अविनाशी जोगी, दादू चेला महारस भोगी ॥ ४ ॥ 
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव इसमें जीवके प्रति उपदेश कर रहे हैं कि हे जिज्ञासु ! निरंजनरूप योगी को विचारपूर्वक जानकर मन में ग्रहण कर ले । वह नामरूप सम्पूर्ण संसार में व्यापक होकर भी अकेला रहता है । उस निरंजन योगी के पास न खप्पर है भिक्षा लेने का, न झोली है, न डंडा है, और न संसार से उसे किसी भी प्रकार की सहायता की ‘आसा’ यानी अपेक्षा है । न माया रूप कोई उसकी कुटिया ही है । उस योगी का विचार कर ले । न तो उसके गले में सींगी है, न कानों में मुद्रा, न अंग पर विभूति है, न गूदड़ी है, न सिर पर जटा है और न किसी प्रकार का जाप का ही आधार और न किसी प्रकार का मृग - छाला आदि आसन ही है, न कोई पंथा - पंथी रूप मत ही है । न किसी प्रकार का कोई तीर्थ ही करता है, न व्रत ही करता है । न किसी वन आदि में जाकर बसता ही है । न माँगता ही है, न खाता ही है, न जगत की आशा करता है । वह निरंजन रूप अविनाशी योगी हमारा अमर गुरु है । उसका अंश जीव रूप चेला, जीव ब्रह्म की एकता रूप महारस का उपभोग करता है ।

Recognize, O disciple, the true Yogi, the Supreme Lord,
the One who dwells alone yet pervades all.
This yogi keeps no begging bowl, bag
Or sacred supporting staff;
He dwells not in any monastery and takes not 
anyone’s wealth; understand this carefully.
He keeps no wind instrument,
Nor does he indulge in any ascetic practice.
He besmears not his body with ashes,
And wears not rags.
No matted hair does he keep,
No muttering of holy syllables does he practice,
No deerskin cushion or begging rounds
Does he require.
He goes not on pilgrimages,
Dwells not in the forest, eats not by begging
And entertains not worldly hopes.
He is an immortal Guru, an indestructible Yogi.
His disciple alone is the enjoyer of the great Nectar.
(English translation from
"Dadu~The Compassionate Mystic" 
by K. N. Upadhyaya~Radha Soami Satsang Beas)

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