सोमवार, 1 जून 2015

= १९३ =


#daduji
॥ दादूराम सत्यराम ॥
परब्रह्म परापरं, सो मम देव निरंजनम् ।
निराकारं निर्मलं, तस्य दादू वन्दनम् ॥
=========================
साभार ~ hindi.webdunia.com
ईश्वर एक ही है कोई दूसरा ईश्वर नहीं है। उसे ही ब्रह्म, परब्रह्म, परमात्मा और परमेश्वर कहा जाता है। वह निराकार, निर्गुण और अजन्मा है। उसकी कोई मूर्ति नहीं बनायी जा सकती। वेद अनुसार उसे छोड़कर और किसी की पूजा और प्रार्थना करने वाला उसके लोक में न जाकर जन्म-जन्मांतर तक भटकता रहता है। उसको जो याद करता रहता है उसके सभी दुख मिट जाते हैं। देवता, दानव, भगवान पितर आदि सभी उसी ईश्वर के अधिन है। वे सब भी उसी की प्रार्थना करते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें