मंगलवार, 2 जून 2015

*आमेर पहुँचना, राजपुरोहित का दर्शनार्थ आना-*

 
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*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
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*~ त्रयोदश बिंदु ~*
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*आमेर पहुँचना, राजपुरोहित का दर्शनार्थ आना-* 
झोटवाड़े से दादूजी अपनी शिष्य मंडली के सहित आमेर पधारे । मावठा तालाब के पास के रामबाग में ठहरने योग्य स्थान देखकर ठहर गये । फिर अपनी अपनी शारारिक क्रियाओं से निवृत्त होकर सब संत ध्यानस्थ हो गये । संतों का आना सुनकर नगर के सत्संगी लोग दर्शन करने तथा वचनामृत सुनने के लिये आने लगे । 
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पीछे ज्ञात हुआ कि ये तो परम प्रख्यात महान् संत दादूजी महाराज ही साँभर से यहां पधारे हैं, फिर तो जनता अधिक मात्रा में आने लगी । तब संतों ने दादूजी की वाणी सुनाना रूप सत्संग आरंभ कर दिया । दादूजी के भावपूर्ण रहस्यमय भजन तथा साखियाँ जनता को अति प्रिय लगती थीं । 
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सत्संगी लोग सुनकर धन्य धन्य कहते थे । तीसरे दिन राजपुरोहित भी दादूजी का नाम सुनकर आया और ग्रीष्म ऋतु होने से संतों के लिये ठंडाई तथा ग्रीष्म ऋतु में उपयोगी फल मेवा आदि लाया । सब सामग्री अपने अनुचरों से दादूजी के सामने रखवादी । 
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दादूजी के दर्शन से पुरोहितजी को अति आनन्द प्राप्त हुआ । फिर प्रणाम करके राजपुरोहित दादूजी के सामने बैठ कर बोला - भगवन् ! आपका नाम तो मैं कुछ समय पूर्व से सुनता रहा था किन्तु दर्शन का अवसर  आज ही प्राप्त हुआ है । मुझे आपके दर्शन से ही बहुत शांति मिली है । अब आप यहां कुछ समय विराजने की कृपा अवश्य करें । 
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अभी तो मैं कार्यवश जा रहा हूँ, फिर आकर सत्संग का लाभ अवश्य प्राप्त करूंगा । आमेर निवासियों के अहोभाग्य से आपका यहां पधारना हुआ है । अतः आमेर के निवासी धन्यवाद के योग्य हैं जो आप जैसे महान् संतों के दर्शन और सत्संग का लाभ लेंगे । फिर शीघ्र जाने के लिये क्षमायाचना कर और साष्टांग प्रणाम करके राजपुरोहित लौट गये । 
(क्रमशः)

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