🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
.
*~ त्रयोदश बिंदु ~*
.
*शिष्य बड़े बोहितदास(१) -*
.
एक दिन आमेर में एक बोहित नामक सज्जन दादूजी के दर्शन करने आये और प्रणाम करके दादूजी के सामने बैठ गये । फिर अवसर देख कर बोले - भगवन् ! मेरे हृदय में एक शंका बारंबार उठती रहती है । इस समय आपका दर्शन करके मुझे विशवास हो रहा है कि मेरी शंका का उचित समाधान आप कर सकते हैं ।
.
अतः आप मुझे प्रश्न करने की आज्ञा दें तो मैं आपसे प्रश्न करके उसका उचित उत्तर प्राप्त कर सकूँ । दादूजी महाराज ने बोहित की उक्त प्रार्थना सुनकर कहा - तुम पूछ सकते हो । तब आपने मन में प्रसन्न होकर बोहितजी ने कहा - स्वामिन् ! नाना मतवादी लोग परमात्मा के नाम तथा रूप भिन्न भिन्न बताते हैं और अपनी मान्यता से भिन्न मान्यता वालों का खंडन भी करते हैं ।
.
इसी प्रकार सभी मतों वालों का व्यवहार देखने में आता है । उक्त प्रकार के उन लोगों के व्यवहार से परमात्मा ही सिद्ध नहीं होते । एक दूसरे के द्वारा सभी मत वालों के परमात्मा के नाम रूपों का खंडन; हो जाता है । ऐसी अवस्था में सरल स्वभाव वाला साधक किस नाम से उपासना करे । यही बात मेरी है, जहां जाता हूं वहां ही अपने - अपने गीत गाते हैं । अतः मेरा मन साधन में लगता ही नहीं है ।
.
अब आप कृपा करके मुझे समझाइये । बोहितजी के उक्त विचारों को सुनकर परमदयालु दादूजी बोले -
"सब का साहिब एक है, जाका परगट नाँउं ।
दादू सांई शोध ले, ताकी मैं बलि जाँउं ॥"
.
जिसका 'ईश्वर' यह नाम प्रकट है, वह परमात्मा सभी मत वादियों का एक ही है । अर्थात् सभी मतवादी अपने परमात्मा को ईश्वर कहते हैं, अनीश्वर कोई कोई भी नहीं कहता । भिन्न भिन्न नाम, रूप उस ईश्वर के अवतारों के नाम, रूपों को लेकर तथा अवतारों के गुण कर्मों को लेकर और अपने अपने मतवाद की रुचि को लेकर मानने लग गये हैं ।
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें