#daduji
卐 सत्यराम 卐
*सहकामी सेवा करैं, मागैं मुग्ध गँवार ।*
*दादू ऐसे बहुत हैं, फल के भूँचनहार ॥*
*तन मन लै लागा रहै, राता सिरजनहार ।*
*दादू कुछ मांगैं नहीं, ते बिरला संसार ॥*
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साभार ~ @गौ हमारी माता है
*सन्मुख होइ जीव मोहि जबही*
*जनम कोटि अघ नासहिं तबही*
इसे मैंने कुछ ऐसे समझा कि प्रभु कृपा अनवरत बरस रही है परन्तु हम उनके सामने ही नहीं जाते इसीलिए हमारे पाप नष्ट नहीं होते परन्तु अगर कोई जीव उनके सन्मुख हो जाये तो उसके करोड़ों जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। ठीक वैसे - जैसे हम सब जानते हैं कि सूर्य हमेशा रहता है, यह तो हमारी पृथ्वी घूमती है - *तो पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने होता है वहां दिन होता है, तब चाहे करोड़ों वर्षों का अन्धकार हो, प्रकाश के सम्मुख जाने से तुरंत समाप्त हो जाता है उसी प्रकार श्री हरि के सम्मुख जाने से करोड़ों जन्मों के पाप भस्म हो जाते हैं -*
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अब संशय यह उठता है कि हम तो रोज़ पूजा पाठ करते हैं, मंदिर जाते हैं, इत्यादि इत्यादि तो हमारे पाप तो विनष्ट नहीं हुए हम तो अभी भी दुखी हैं तो *मेरे प्यारे ! ज़रा ईमानदारी से बताना कि पूजा - पाठ, जप - तप क्या प्रभु के लिए किया था या मनोकामना सिद्धि के लिए - तो शरणागति तो पदार्थों की है प्रभु की नहीं जिस दिन प्रभु के पास, कान्हा के पास कान्हा के लिए जायेंगे जब यह भाव भाव होगा कि जो तुझे अच्छा लगे वही मुझे स्वीकार - उस दिन कोई क्लेश नहीं रहेगा - उस दिन सब अन्धकार दूर हो जायेगा। उस दिन वो प्यारा तुम्हें निज रूप दे देगा। हरि शरणम --*
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