मंगलवार, 29 सितंबर 2015



💐💐 ‪#‎daduji‬ 💐💐
॥ श्री दादूदयालवे नम:॥
३५२.(सिंधी) निज स्थान निर्णय । 
उपदेश एकताल ~
अर्श इलाही रब्बदा, इथांई रहमान वे ।
मक्का बीचि मुसाफरीला, मदीना मुलतान वे ॥ टेक ॥ 
नबी नाल पैगम्बरे, पीरों हंदा थान वे ।
जन तहुँ ले हिकसा ला, इथां बहिश्त मुकाम वे ॥ १ ॥ 
इथां आब जमजमा, इथांई सुबहान वे ।
तख्त रबानी कंगुरेला, इथांई सुलतान वे ॥ २ ॥ 
सब इथां अंदर आव वे, इथांई ईमान वे ।
दादू आप वंजाइ बेला, इथांई आसान वे ॥ ३ ॥ 
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव निज स्थान निर्णय उपदेश कर रहे हैं कि हे निजाम ! “इलाही”= बेपरवाह, “रब्ब” = परमेश्‍वर का, इस शरीर के भीतर हृदय रूप स्थान है । इसी में वह रहमान विराजता है । यह हृदय रूपी स्थान ही मक्का और मदीना है । अपनी अन्तर्मुख वृत्ति से इसमें यात्रा कर । यहाँ ही मदीना और मुलतान का दर्शन है । भीतर ही हज कर । यहाँ की उस रहमान के साथ नबी, पैगम्बर, पीर आदिकों का स्थान है । ‘नाल’ कहिए , ये सभी यहाँ रहमान के साथ रहते हैं । हे जन ! तूँ अपनी वृत्ति को संसार - दशा से अन्तर्मुख करके एक चैतन्य रूप परमेश्‍वर से लगा । यह हृदय ही भिस्त रूप मुकाम है । ‘इथां’ कहिए’ भीतर ही ‘जमजमा’ रूप पवित्र नाम - स्मरण रूपी जल है, इसमें स्नान कर । मुहम्मद के वंश में मुहम्मद से १८ पीढ़ी पहले इसमाइल के जन्म समय माता की प्यास मिटाने के लिए शिशु ने एड़ियाँ घिसकर भूमि से जल निकाल दिया था । अरब में स्थित मक्का नगर के काबे का जो ‘जमजमा’ नामक कूप है, वह इस्लामियों का पवित्र तीर्थ है । यहाँ शरीर के भीतर ही सुबहान अति शोभनीक परमेश्‍वर का दर्शन है । 
भीतर ही ‘कगुंरेला’ = कोरणी किया हुआ शुद्ध अन्तःकरण रूप तख्त है । इसी पर वह सुलतान रूप रब्ब निवास करता है । सब कुछ इस शरीर के भीतर ही है । ‘ईमान’ कहिए, वह सत्य निश्‍चय रूप परमेश्‍वर है । उसकी भीतर ही ‘बेला’ कहिए साधन अवस्था में वंजाई नाम वही पवित्र यात्रा, कर । ‘इथां’ कहिए, भीतर वह आसानी से प्राप्त करने योग्य है ।
इस पद से निजाम, जो हज करने जा रहा था, जब मार्ग में ब्रह्मऋषि का दर्शन पाया और उनके चरणों में नमस्कार किया, तब ब्रह्मऋषि ने इस पद से उपदेश देकर उसे अन्तर्मुख बना दिया । यह निजाम दादू जी के ५२ शिष्यों में एक शिष्य कहलाए ।

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