💐💐 #daduji 💐💐
॥ श्री दादूदयालवे नमः ॥
"श्री दादू पंथ परिचय" = रचना = संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान =
= बारहवां १२ अध्याय =
= १४ आचार्य गुलाबदासजी =
धनीराम जी के चातुर्मास ~
वि. सं. १९४६ में धनीरामजी फिरोजपुर वालों ने आचार्य गुलाबदासजी महाराज को चातुर्मास का निमंत्रण दिया । आचार्य जी ने स्वीकार किया । चातुर्मास का समय समीप आने पर अपने शिष्य संत मंडल के सहित आचार्य गुलाबदासजी महाराज पधारे । धनीरामजी ने भक्त मंडल के साथ आकर आचार्य जी की अगवानी की । भेंट चढाकर सत्यराम दंडवत करके संकीर्तन करते हुये अति सत्कार से स्थान पर ले गये । चातुर्मास आरंभ हो गया । चातुर्मास के सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे चले । समाप्ति पर धनीरामजी ने मर्यादानुसार आचार्य जी को भेंट दी तथा शिष्य संत मंडल को यथा योग्य वस्त्रादि दिये और सस्नेह विदा किया वहाँ से विदा होकर आचार्य गुलाबदासजी महाराज शिष्य संत मंडल के सहित भ्रमण करते हुये नारायणा दादूधाम पर पधार गये और यहां ही सत्संग भजन करते हुये आगत संत तथा सेवकों को उपदेश करते रहे ।
प्रभुदासजी के चातुर्मास ~
वि. सं. १९४७ में प्रभुदासजी लोरडी वालों ने आचार्य गुलाबदासजी महाराज को चातुर्मास का निमंत्रण दिया । आचार्य जी ने स्वीकार किया । फिर शिष्य संत मंडल के सहित आचार्य गुलाबदासजी महाराज लोरडी पधारे । प्रभुदास जी ने भक्त मंडल के सहित संकीर्तन करते हुये जाकर आचार्य जी का सामेला किया । भेंट चढाकर सत्यराम दंडवत की और संकीर्तन करते हुये ले जाकर स्थान पर ठहराया । चातुर्मास आरंभ हो गया । चातुर्मास के कार्यक्रम सुचारु रुप से चलने लगे । अच्छा चातुर्मास हुआ । समाप्ति पर प्रभुदासजी ने आचार्यजी को मर्यादानुसार भेंट दी तथा शिष्य संत मंडल को यथायोग्य वस्त्रदि देकर सस्नेह विदा किया । लोरडी से विदा होकर आचार्य गुलाबदासजी महाराज शिष्य संत मंडल के साथ भ्रमण करते हुये नारायणा दादूधाम पधार गये ।
धनीराम जी के चातुर्मास ~
वि. सं. १९४६ में धनीराम जी फिरोजपुर वालों ने आचार्य गुलाबदासजी महाराज को चातुर्मास का निमंत्रण दिया । आचार्यजी ने स्वीकार किया । चातुर्मास का समय आने पर अपने शिष्य संत मंडल के सहित आचार्य गुलाबदासजी महाराज पधारे । धनीरामजी ने भक्त मंडल के साथ आकर आचार्यजी की अगवानी की । भेंट चढाकर सत्यराम दंडवत करके संकीर्तन करते हुये अति सत्कार से स्थान पर ले गये । चातुर्मास आरंभ हो गया । चातुर्मास के सभी कार्यक्रम बहुत अच्छे चले । समाप्ति पर धनीरामजी ने मर्यादानुसार आचार्यजी को भेंट दी तथा शिष्य संत मंडल को यथा योग्य वस्त्रादि दिये और सस्नेह विदा किया । वहां से विदा होकर आचार्य गुलाबदासजी महाराज शिष्य संत मंडल के सहित भ्रमण करते हुये नारायणा दादूधाम पर पधार गये और यहाँ ही सत्संग भजन करते हुये आगत संत तथा सेवकों को उपदेश करते रहे ।
(क्रमशः)
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