गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

= १ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏 *卐 सत्यराम सा 卐* 🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
ज्यों तुम भावै त्यों खुसी, हम राजी उस बात ।
दादू के दिल सिदक सौं, भावै दिन को रात ॥
दादू करणहार जे कुछ किया, सो बुरा न कहना जाइ ।
सोई सेवक संत जन, रहबा राम रजाइ ॥
================
साभार : Ashok Kumar Jaiswal ~
यह दिन भी नहीं रहेंगे, इससे भी बुरा हो सकता था, गिलास आधा खाली नहीं बल्कि आधा भरा हुआ है - ये सब सकारात्मक नजरिये को दर्शाते हैं जबकि नकार दुखों की पोटली के सिवा कुछ नहीं....!!
.
हमें जीवन में जो कुछ नहीं मिला उसके लिए भाग्य और भगवान को कोसने से कहीं बेहतर है कि जो कुछ सहज भाव से मिला है उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दें, सुखी होने और ह्रदयपूर्वक निरंतर मुस्कुराते रहने का यही एकमात्र रास्ता है....!!
.
@Tripat Singh ~
एक प्रसिद्ध लेखक अपनी स्टडी रूम में बैठा था.. उसने पेन उठाया और लिखने लगा -
पिछले वर्ष, मेरा ऑपरेशन हुआ और मेरे गालब्लॅडर को निकाला गया, जिसके कारण मुझे बहुत दिनों तक बिस्तर पर रहना पड़ा । पिछले वर्ष ही मैं साठ वर्ष का हुआ और मुझे अपने पसंदीदा लेखन कार्य को त्यागना पड़ा क्यूंकि जिस पब्लिशर के लिए मैं लिखता था, उसने अपना व्यवसाय बंद कर दिया ।
.
पिछले वर्ष ही मेरे पिताजी का देहांत हुआ... पिछले वर्ष ही मेरे बेटे का कार दुर्घटना का शिकार हुआ, जिस कारण वह ढंग से पढ़ाई ना कर सका और वह मेडिकल की पढ़ाई में फेल हो गया...
और आखिर में उसने लिखा - हे प्रभु ! कितना बुरा वर्ष था यह !
.
उसकी पत्नी कमरे में आई, उसने देखा की पतिदेव उदास हैं, उनकी पीठ पर से ही उसने पति की लिखी लिखावट पढ़ी । वह चुपचाप कमरे से निकल गयी और फिर थोड़ी देर बाद उसने एक पन्ना अपने पति के उस पन्ने पर रख दिया । जब लेखक ने वह पन्ना देखा तो उसने उस पर लिखा हुआ पढ़ना शुरु किया ।
.
आखिर पिछले वर्ष मुझे उस गालब्लॅडर से छुटकारा मिल ही गया, जिसके कारण काई वर्ष मैने तकलीफ झेली । मैं स्वस्थ अवस्था में ६० वर्ष का हुआ, और अब मैं फुर्सत में शांति से वक़्त गुजर सकता हूँ । पिछले वर्ष ही मेरे पिता ९५ वर्ष की आयु भोग, बिना किसी गंभीर अवस्था को झेल इस दुनिया से विदा हो गये और उस परमात्मा की जोत में लीन हो गये ।
.
पिछले वर्ष ही मेरे बेटे को नया जीवन मिला जब कार दुर्घटना में कार तो नष्ट हो गयी लेकिन बिना अपंग हुए, वह फिर से अपना जीवन शुरू कर सका । और आखिर में उसने लिखा - परमात्मा की कृपा से पिछला वर्ष बहुत आशीर्वाद दे कर गुजरा.. हे प्रभु तेरा धन्यवाद !
.
लेखक पढ़ कर स्तब्ध रह गया - वही बात लेकिन अलग नज़रिया !
सच में अगर हम ध्यान से देखें - तो जो होता है.. बेहतरी के लिए ही होता है ..

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें