गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

= २०० =

卐 सत्यराम सा 卐
सपना तब लग देखिये, जब लग चंचल होइ ।
जब निश्चल लागा नाम सौं, तब सपना नांही कोइ ॥
जागत जहँ जहँ मन रहै, सोवत तहँ तहँ जाइ ।
दादू जे जे मन बसै, सोइ सोइ देखै आइ ॥
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साभार : Ashok Kumar Jaiswal ~

कल नींद में एक अजीब सपना आया, देखा मरने के बाद स्वर्गलोक पहुँच गया हूँ जहाँ पर पता नहीं नहीं क्यों काफी चहल-पहल थी और बहुत से लोग सड़कों तथा मकानों के बरामदों में खड़े दिखाई पड़े....एक साधू से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है और स्वर्गलोक में आज इतनी सरगर्मियाँ किसलिये, तो उसने बताया - आज हम सबके प्रिय भगवान जी का जन्मदिन है जो काफी धूमधाम से मनाया जायेगा, और इन सारे कार्यक्रमों के प्रायोजक हमेशा की भाँति कुबेर महाराज हैं....सुनकर मेरे मुँह से बस इतना ही निकला, ह्म्म्म्म्म्म........!!
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एकाध घंटा बीतते न बीतते स्वर्ग के भीतरी छोर से एक लम्बा जुलूस निकला जिसमें कई तरह की झाँकियाँ थी, एक हाथी पर बैठे सेठ गेंडामल, शेरवानी पहने हुए रत्नजड़ित सिँहासन पर लाला ठगतराम, वकील जगतराम, प्रियवर बन्धु भगतराम, बैरिस्टर कुटिल हलकानी, अल-मीरा दीवानी, ऐक्ट्रेस कल्पना रूमानी, निरुपा गाय, एलिजाबेथ हाय, दुखवन्त सिंह, लफडू-बखेड़ू-खदेड़ू और भीड़ू के अलावा कई एक नामवर महा-पुरुष और साधू-संत एवँ साध्वियों की टोली पूरी सजधज सहित अपनी-अपनी झाँकियों में जलवे बिखेरती हुई दृष्टिगोचर हुईं.... 
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लगभग आधी रात तक यह सिलसिला चला और अंतिम झाँकी भी निकल गई, सबके अंत में पीछे-पीछे एक कृशकाय वृद्ध अपनी टेढ़ी कमर लिये एक लाठी के सहारे आहिस्ता-आहिस्ता चलता नजर आया.... एक जिज्ञासा सी हुई और मैंने वापस लौटते एक व्यक्ति को रोककर पूछ कि भगवान जी के जन्मदिन के उत्सव में भगवान जी दिखाई नहीं पड़े, तो उसने उसी वृद्ध की तरफ इंगित करके कहा - वो रहे भगवान जी....!!
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मैं आगे और कुछ पूछ पाऊँ इसके पहले ही मेरी नींद खुल गई, बाद में एक मित्र ने चर्चा के दौरान बताया कि यह नर्कलोक का दृश्य था जहाँ शैतान ने आजकल स्वर्गलोक का बोर्ड लगा दिया है....!!
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जन्मदिन हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन से एक साल और कम हो गया है और एक हम हैं कि इस बात पर खुशी जाहिर करते हैं साथ ही दावतें भी आयोजित हुआ करती हैं, अपन फिजूलखर्ची और दावत तो आयोजित करने से रहे, शायद इसी आदत की वजह से कुछ अरसा पहले हमारे बारे में हाफ दाढ़ीवाले एक सड़ियल ने किसी से पूछा था -- इसकी औकात क्या है....??

खैर जो भी हो जीना और मरना तो लगा ही रहेगा, सिर्फ इतना भर ख्याल दिल में रहे कि रोते हुए आये और हँसते हुए जाना :~
जब तक जियो शान से और मान से जियो,
छोटी सी ज़िन्दगानी को व्यर्थ ना गँवाना !!
अपने लिये तो सभी जिया करते हैं यहाँपे,
खुदभी जीना औरोंके भी कुछ काम आना !!
ईमान से कमाना और मेहनत की खाना,
दौलत~ओ~ताक़त के नशे में ना इतराना !!
जब आये जग में रोते हुए तब लोग हँसे थे,
हँसते हुए कुछ ऐसे जाएँ कि रो दे जमाना !!

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