🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐 सत्यराम सा 卐* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ।*
.
*= विन्दु ३९ दिन २१ आंतर शौच विचार =*
.
२१वें दिन प्रातःकाल अकबर बादशाह सत्संग के लिये दादूजी महाराज के पास आये और हाथ जोड़कर सामने बैठ गये फिर बोले - भगवन् ! दो प्रकार की पवित्रता पंडित लोग कहा करते हैं, बाह्य तथा आंतर । उनमें बाह्य शरीर की शुद्धि तो जल मृत्तिका आदि से होती है किंतु भीतर की शुद्धि कैसे होती है ? आज आप यही मुझे समझाने की कृपा अवश्य करें ।
.
अकबर का उक्त प्रश्न सुनकर दादूजी ने कहा - मनको पवित्र रखने से ही भीतर की शुद्धि होती है । मन शुद्ध होने पर बाहर भीतर की दोनों की शुद्धि हो जाति है । ऐसा कह कर यह पद बोले -
मन निर्मल तन निर्मल भाई, आन उपाय विकार न जाई ॥टेक॥
जो मन कोयला तो तन कारा, कोटि करे नहिं जाय विकारा ॥१॥
जो मन विषहरि तो तन भुवंगा, करे उपाय विषय पुनि संगा ॥२॥
मन मैला तन उज्वल नांहीं, बहु पचहारे, विकार न जांहीं ॥३॥
मन निर्मल तन निर्मल होई, दादू साँच विचारे कोई ॥४॥
.
मनको शुद्ध करने की प्रेरणा कर रहे हैं -
"मनही मंजन कीजिये, दादू दर्पण देह ।
मांहीं मूरति देखिये, इहिं अवसर कर लेह ॥
शरीर में प्रभु का दर्शन करने के लिये मन ही दर्पण है । इसलिये इसी समय मन को शुद्ध कर लेना चाहिये ।
.
हरि चिन्तन को छोड़कर अन्य का चिन्तन करने से ही मन मलीन हो जाता है, किंतु क्या करें लोग ज्ञान सिखाने पर भी समझते नहीं हैं -
तब ही कारा होत है, हरि बिन चितवत आन ।
क्या कहिये समझें नहीं, दादू सिखवत ज्ञान ॥
दादू पाणी धोवे बावरे, मन का मैल न जाय ।
मन निर्मल तब होयगा, जब हरि के गुण गाय ॥
काले तैं धोला भया, दिल दरिया में धोय ।
मालिक सेती रह्या, सहजैं निर्मल होय ॥
.
निर्मल मन वाला ही हरि दर्शन का पात्र होता है, मलीन मन वाला नहीं -
दादू जिसका दर्पण ऊजला, सो दर्शन देखे मांहिं ।
जिसकी मैली आरसी, सो मुख देखे नांहिं ॥
दादू निर्मल शुद्ध मन, हरि रंग राता होय ।
दादू कंचन कर लिया, काच कहै नहिं कोय ॥
.
शुद्ध और स्थिर मन से ही हरि की सेवा भक्ति यथार्थ रूप से होती है -
दादू यहु मन थिर नहीं, कर नहिं जाने कोय ।
दादू निर्मल देबकी, सेवा क्यों कर होय ॥
मन शुध स्याबत आपना, निश्चल होवे हाथ ।
तो यहां ही आनन्द है, सदा निरंजन साथ ॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें